दिल्ली में आयोजित यंग लीडर्स फोरम में आज एक ऐसी आवाज़ गूंजी जिसने हर भारतीय युवा के दिल में गर्व और जोश दोनों भर दिए। यह आवाज़ थी भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी की। मंच पर आते ही उन्होंने जो कहा, वह केवल एक भाषण नहीं था, बल्कि एक विचार क्रांति थी। उन्होंने साफ कहा- “राष्ट्र की रक्षा सिर्फ शस्त्र से नहीं, शास्त्र से भी होती है।”
उनकी यह पंक्ति पूरे हॉल में गूंज उठी। उनके शब्दों में न केवल अनुशासन की गहराई थी, बल्कि आधुनिक भारत के युवा के लिए एक स्पष्ट संदेश भी छिपा था—कि देश की रक्षा केवल बंदूक से नहीं, बल्कि ज्ञान, तकनीक और संस्कार से भी होती है।
शक्तिशाली राष्ट्र वही, जहां ज्ञान और साहस साथ हों
कर्नल सोफिया ने अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि भारतीय सेना केवल हथियारों की ताकत से नहीं चलती। हर सैनिक को शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में सशक्त बनाया जाता है। उन्होंने कहा-“हमारे सैनिक केवल युद्धभूमि के योद्धा नहीं, बल्कि ज्ञान के भी धनी हैं। आज की रक्षा केवल सीमाओं तक सीमित नहीं—अब यह साइबर, अंतरिक्ष और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र तक बढ़ चुकी है।”
उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि भारत की ताकत उसके युवा दिमाग हैं। और वही युवा अगर ज्ञान और अनुशासन के साथ आगे बढ़े, तो भारत किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।
सेना का उद्देश्य केवल सुरक्षा नहीं, प्रेरणा भी है
अपने भाषण के दौरान कर्नल सोफिया ने भारतीय सेना की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सेना केवल सीमाओं की रक्षा नहीं करती, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने याद दिलाया कि चाहे 1965 की जंग हो या कारगिल युद्ध, हर बार भारत के जवानों ने साहस और त्याग की मिसाल पेश की है।
उन्होंने कहा-आज की पीढ़ी को सिर्फ देशभक्ति की बातें नहीं, बल्कि उसे जीवन में उतारने की ज़रूरत है। देश की सुरक्षा सिर्फ सीमा पर नहीं होती, बल्कि हर नागरिक के मन में होती है।
शहीद भगत सिंह से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक – हिम्मत की कहानी”
कर्नल सोफिया कुरैशी ने अपने संबोधन में भारत के महान वीरों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि जब भी हिम्मत और त्याग की बात होगी, तब सबसे पहले नाम आएगा – शहीद भगत सिंह का। उन्होंने हालिया ऑपरेशन सिंदूर का भी ज़िक्र किया, जिसमें भारतीय सेना ने दुर्गम परिस्थितियों में भी अदम्य साहस दिखाया।
उनके शब्दों में हर मिशन, हर ऑपरेशन… एक संदेश देता है कि भारत का सैनिक किसी परिस्थिति से नहीं डरता। उसके भीतर ज्ञान और वीरता दोनों बसे हैं।
भारत के युवा – राष्ट्र की नई रीढ़
कर्नल सोफिया ने कहा कि भारत के युवाओं के भीतर अपार ऊर्जा और क्षमता है। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा- “आपका ज्ञान, आपका साहस, आपकी सोच—यही भारत की सबसे बड़ी पूंजी है।”
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे सोशल मीडिया पर नकारात्मकता नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच फैलाएं। भारत को ऐसे युवाओं की ज़रूरत है जो शिक्षा, तकनीक और नवाचार से देश को नई ऊँचाई पर ले जा सकें।
ज्ञान ही सबसे बड़ा शस्त्र है
कर्नल सोफिया के संदेश का मूल यही था कि अगर भारत को सुरक्षित और समृद्ध बनाना है, तो हमें शस्त्र के साथ शास्त्र को भी अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध अब सिर्फ मैदान में नहीं, बल्कि तकनीक और विचारों के स्तर पर भी लड़े जाते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय सेना अपने सैनिकों को न केवल शारीरिक रूप से प्रशिक्षित करती है, बल्कि मानसिक रूप से भी सशक्त बनाती है, ताकि वे हर परिस्थिति में निर्णय लेने की क्षमता रख सकें।
भारत की सुरक्षा – हर नागरिक की जिम्मेदारी
कर्नल सोफिया कुरैशी के भाषण ने यह संदेश दिया कि भारत की सुरक्षा केवल सैनिकों की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि अगर हर व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी और समर्पण से काम करे, तो वही सबसे बड़ी देशभक्ति होगी।
उनका अंतिम संदेश था- भारत की सेना हमेशा तैयार है… लेकिन भारत के युवाओं को भी तैयार रहना होगा—ज्ञान के लिए, साहस के लिए और राष्ट्र के लिए।
कर्नल सोफिया कुरैशी का यह प्रेरक संदेश केवल एक भाषण नहीं, बल्कि एक सोच है—एक ऐसी सोच जो भारत को आत्मनिर्भर, शक्तिशाली और ज्ञानवान बनाती है। उनके शब्दों में छिपा है वह सत्य, जो हर भारतीय को समझना चाहिए- “राष्ट्र की रक्षा केवल बंदूक से नहीं, बल्कि बुद्धि, बल और भाव से होती है।”

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