September 5, 2025

कांग्रेस का चुनाव आयोग पर हमला: ‘मोदी की कठपुतली’ का आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला, इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘कठपुतली’ करार दिया। इससे एक दिन पहले, पार्टी सांसद राहुल गांधी ने आयोग पर ‘वोट चोरी’ का गंभीर आरोप लगाते हुए सबूतों का ‘एटम बम’ फोड़ने की बात कही थी। खरगे ने दावा किया कि चुनाव आयोग व्यवस्थित रूप से गरीबों, दलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करने का काम कर रहा है। उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आयोग के साथ मिलकर मतदाता सूची से इन वर्गों के नाम जानबूझकर हटाने का आरोप लगाया।

‘चुनाव आयोग की साजिश, दलितों-पिछड़ों को वोट से रोका’

कांग्रेस द्वारा आयोजित एक लीगल कॉन्क्लेव में खरगे ने कहा, “बिहार में 65 लाख या एक करोड़ वोटरों को मताधिकार से वंचित करना दलितों और पिछड़ों को वोटिंग से रोकने की सोची-समझी साजिश है। चुनाव आयोग पूरी तरह से मोदी जी की कठपुतली बन चुका है।” उन्होंने दावा किया कि 7 करोड़ वोटरों में से करीब एक करोड़ लोगों के नाम बिना किसी ठोस कारण के मतदाता सूची से हटा दिए गए। इससे साफ है कि समाज के कमजोर वर्गों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। खरगे ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह कदम सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों के खिलाफ है।

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‘अल्पसंख्यकों पर बढ़ा उत्पीड़न’

खरगे ने बीजेपी शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित उत्पीड़न को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “बीजेपी शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गया है। वे मुगलों, चिकन और मंगलसूत्र जैसे मुद्दों को उठाकर समाज को बांटने का काम करते हैं।” कांग्रेस नेता ने मतदाता सूची से नाम हटाने को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया न केवल अल्पसंख्यकों, बल्कि दलितों, पिछड़े वर्गों और गरीबों को भी निशाना बनाती है, जिससे उनके मतदान के अधिकार का हनन होता है।

‘संविधान की रक्षा करें, इसे कमजोर न करें’

खरगे ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि प्रधानमंत्री का कर्तव्य संविधान की रक्षा करना है, न कि इसे कमजोर करना। उन्होंने कहा, “लोगों ने प्रधानमंत्री को देश के संविधान की रक्षा के लिए चुना है, इसे खत्म करने के लिए नहीं।” कांग्रेस अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने भी इस मामले की गंभीरता को स्वीकार किया है, लेकिन कई सुनवाइयों के बावजूद चुनाव आयोग ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया।

बिहार में मतदाता सूची की छानबीन पर विवाद

हाल ही में बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पूरी की। हालांकि, विपक्ष ने इस प्रक्रिया को संदेह की नजर से देखा है। खरगे और अन्य कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह प्रक्रिया समाज के कमजोर वर्गों को मतदान से वंचित करने का एक सुनियोजित प्रयास है। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को इस तरह के कदमों को तुरंत रोकना चाहिए और सभी पात्र वोटरों को उनके मताधिकार की गारंटी देनी चाहिए।

कांग्रेस का यह हमला चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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