मिड-डे मील के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ी
राजस्थान के दौसा ज़िले के चूड़ियावास गांव से चिंताजनक खबर सामने आई है। सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे मील खाने के बाद 90 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। घटना उस समय हुई जब 156 बच्चों को पोषण योजना के तहत चपाती और सब्जी परोसी गई। कुछ ही देर बाद बच्चों ने पेट दर्द, उल्टी और चक्कर की शिकायत करना शुरू कर दिया।
अस्पताल में भर्ती और प्राथमिक इलाज
स्थिति गंभीर होने पर पहले तो मेडिकल टीम स्कूल पहुंची। इसके बाद बच्चों को नांगल राजवतन स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां की हालत गंभीर देख 49 बच्चों को दौसा जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। प्रशासन ने दावा किया कि सभी बच्चे अब खतरे से बाहर हैं।कलेक्टर देवेंद्र कुमार और स्वास्थ्य मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी खुद अस्पताल पहुंचे और यह सुनिश्चित किया कि बच्चों को उचित इलाज मिले।
क्या यह फूड पॉइज़निंग का मामला है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह घटना फूड पॉइज़निंग का मामला है? जांच शुरू हो चुकी है और खाद्य निरीक्षक ने खाने के नमूने ज़ब्त कर लिए हैं। स्कूल प्रशासन का कहना है कि खाना रोज़ की तरह ही बनाया गया था और दो शिक्षकों ने पहले चखकर देखा था।फिर सवाल यह है कि गलती कहां हुई खाना बनाते समय साफ़-सफ़ाई में चूक हुई या भंडारण और वितरण में कोई लापरवाही बरती गई?
मिड-डे मील योजना की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना मिड-डे मील योजना की सुरक्षा और गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। जब बात बच्चों की सेहत की हो, तो ज़िम्मेदारी तय करना और जमीनी स्तर पर सुधार करना बेहद जरूरी है। केवल सरकारी दावे पर्याप्त नहीं हैं; बच्चों को सुरक्षित और पौष्टिक खाना मिलना सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए

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