November 13, 2025

संसद शीतकालीन सत्र: 1-19 दिसंबर, 15 बैठकें; विपक्ष बोला- छोटा सत्र, सरकार भाग रही?

सत्र की तारीखें घोषित: 15 बैठकें निर्धारित

केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखों का ऐलान कर दिया है। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान कुल 15 बैठकें होंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, जरूरत पड़ने पर सत्र की अवधि बढ़ाई या घटाई जा सकती है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब विपक्ष लगातार सत्र बुलाने की मांग कर रहा था। रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, “हम एक रचनात्मक और सार्थक सत्र की उम्मीद करते हैं, जो हमारे लोकतंत्र को मजबूत करेगा और जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।” यह सत्र दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – में एक साथ चलेगा।

विपक्ष का हमला: ‘विलंबित और छोटा सत्र’

विपक्ष ने सत्र की तारीखों पर तीखा प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे “असामान्य रूप से विलंबित और छोटा” बताया। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या सरकार किसी बहस से भाग रही है?” रमेश के अनुसार, परंपरागत रूप से शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होता है और दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक चलता है। इस बार मात्र 15 बैठकें रखकर सरकार संसदीय चर्चा को सीमित करना चाहती है। कांग्रेस का आरोप है कि महंगाई, बेरोजगारी, विदेश नीति और चुनावी अनियमितताओं जैसे मुद्दों पर बहस टालने की कोशिश हो रही है। अन्य विपक्षी दलों जैसे TMC, SP और DMK ने भी सत्र की छोटी अवधि पर असंतोष जताया है।

सरकार का पलटवार: ‘बाधा न डालें, बहस करें’

किरण रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस को संसद की कार्यवाही में बाधा नहीं डालनी चाहिए। संसद को चलने दें और बहस में भाग लें।” सरकार का दावा है कि 15 बैठकें पर्याप्त हैं और सभी महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा हो सकेगी। पिछले सत्रों में विपक्षी हंगामे के कारण कई विधेयक बिना बहस पारित हुए, जिसे सरकार कम समय का कारण बता रही है। सूत्रों के मुताबिक, इस सत्र में वित्तीय विधेयक, महिला आरक्षण संशोधन और डिजिटल इंडिया से जुड़े बिल पेश हो सकते हैं।

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संभावित मुद्दे: महंगाई से मतदाता सूची तक हंगामा

इस सत्र में विपक्ष सरकार को कई मोर्चों पर घेरने की तैयारी में है। महंगाई और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दे रहेंगे। विदेश नीति, खासकर चीन सीमा विवाद और मणिपुर हिंसा पर सवाल उठाए जाएंगे। ‘वोट चोरी’ के आरोपों के बीच विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) पर भारी हंगामा है। विपक्ष दावा कर रहा है कि SIR के जरिए मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। Adani मामले और समान नागरिक संहिता पर भी बहस की मांग हो सकती है। यदि विपक्ष एकजुट रहा तो सदन में गतिरोध लंबा खिंच सकता है।

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