दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े इंटरनेशनल मोबाइल चोरी गैंग का पर्दाफाश किया है, जो चोरी के महंगे मोबाइल फोन को विदेशों में बेचने का धंधा चलाता था। यह गिरोह दिल्ली-एनसीआर से चोरी किए गए फोन को पहले IMEI नंबर बदलकर नकली दस्तावेजों के जरिए नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजता था।
IMEI क्लोनिंग और नकली दस्तावेजों से हो रही थी ठगी
गिरोह द्वारा चोरी किए गए फोन के IMEI नंबर को क्लोन करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर और उपकरण इस्तेमाल किए जाते थे। इन फोनों को नकली कागजात के साथ रीफर्बिश्ड यानी नया जैसा दिखाकर ई-कॉमर्स वेबसाइट्स और लोकल मार्केट में बेचा जाता था। इससे आम ग्राहक बेवकूफ बनते और महंगे चोरी के फोन खरीद लेते।
साइबर और ऑर्गनाइज़्ड क्राइम पर बड़ा वार
क्राइम ब्रांच की जांच में कई मोबाइल फोन, क्लोनिंग सॉफ्टवेयर और अन्य उपकरण बरामद किए गए हैं, जो गिरोह की कार्यप्रणाली को उजागर करते हैं। इस कार्रवाई से साइबर क्राइम और संगठित अपराध के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।
आपके मोबाइल की सुरक्षा के लिए क्या करें?
अगर आपके पास नया मोबाइल है तो IMEI नंबर जरूर चेक करें। IMEI नंबर फोन के बॉक्स और सेटिंग्स में मिलता है। आप इसे सरकारी वेबसाइटों या अपने नेटवर्क प्रोवाइडर से वेरिफाई कर सकते हैं। चोरी या क्लोन किए गए फोन खरीदने से बचने के लिए प्रमाणित दुकानों से ही खरीदारी करें और अनजान ऑनलाइन मार्केटप्लेस से सावधानी बरतें।
क्या होता है IMEI क्लोनिंग?
IMEI नंबर हर मोबाइल फोन का एक अनोखा पहचान कोड होता है। चोरी किए गए फोन का IMEI बदलकर या क्लोन करके इसे नया फोन दिखाया जाता है। इससे चोरी किए गए मोबाइल को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है और अपराधी आसानी से इन्हें बेच पाते हैं।
दिल्ली पुलिस की अहम सफलता
यह कार्रवाई सिर्फ दिल्ली-एनसीआर की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश में मोबाइल चोरी और साइबर अपराधों के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। पुलिस ने मोबाइल चोरी और क्लोनिंग के मामलों पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है, जिससे इस तरह के अपराधों में कमी आने की उम्मीद है। अगर आप मोबाइल खरीदने जा रहे हैं, तो सावधानी जरूर बरतें। चोरी और क्लोनिंग की ऐसी घटनाएं आपके लिए बड़ा खतरा हो सकती हैं। दिल्ली पुलिस की इस बड़ी सफलता से उम्मीद है कि मोबाइल चोरी और साइबर अपराध पर लगाम लगेगी और आम लोग सुरक्षित रहेंगे।
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