October 15, 2025

दिलजीत दोसांझ की फिल्म सरदार जी 3 विवाद देशभक्ति के नाम पर सेंसरशिप और आलोचना

देश में एक अजीब ट्रेंड चल पड़ा है। क्रिकेट हो या सिनेमा, हर चीज़ पर देशभक्ति का लेबल चिपकाना अब ज़रूरी हो गया है। इसी बीच गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ की नई फिल्म सरदार जी 3 का मामला सुर्खियों में है। फिल्म रिलीज़ ही नहीं हो पाई और इसकी वजह पहलगाम का आतंकी हमला बताई जा रही है।

दिलजीत की चुप्पी टूटी

लेकिन हाल ही में मलेशिया के अपने कॉन्सर्ट में दिलजीत ने चुप्पी तोड़ी। उन्होंने साफ़ कहा कि फिल्म की शूटिंग हमले से पहले हो चुकी थी और भारत-पाक मैच उसके बाद खेला गया। उन्होंने सवाल उठाया कि इसमें उन्होंने कब और कहाँ ग़लत किया। उनका कहना था, “मैच तो हो गया, लेकिन फिल्म नहीं। शायद क्रिकेट बॉल देशभक्ति पास कर देती है और फिल्म का टिकट फेल हो जाता है।”

मीडिया और राष्ट्रवाद की परीक्षा

दिलजीत ने आगे कहा कि राष्ट्रीय मीडिया ने उन्हें राष्ट्र-विरोधी दिखाने की पूरी कोशिश की, लेकिन पंजाबी और सिख कभी भी देश के खिलाफ नहीं जा सकते। सोचिए, आदमी मंच पर खड़ा होकर तिरंगे को सलाम कर रहा है, और फिर भी उसे देशद्रोही साबित करने की ठेका कुछ लोगों ने ले लिया।

शांतिपूर्वक प्रतिक्रिया और सीख

दिलजीत ने बताया कि उनके पास कई जवाब हैं, लेकिन उन्होंने चुप रहना सीखा। उनका संदेश है कि “ज़हर को अंदर मत लो।” इसका मतलब है कि आलोचना, गलतफहमी और कड़वी टिप्पणियाँ सहन करना सीखना ही जरूरी है।

फिल्म और समाज पर सवाल

असल में मामला इतना सीधा है दिलजीत दोसांझ सिंगर-एक्टर हैं, लेकिन उन्हें हर बार राष्ट्रवादी प्रमाणपत्र के लिए परीक्षा देनी पड़ती है। और भाई, ये परीक्षा तो UPSC से भी कठिन लगती है। सवाल ये उठता है कि फिल्में बनाने वाले कब तक इस प्रमाणपत्र के लिए लाइन में खड़े रहेंगे? और दर्शक कब तक ये देखेंगे कि हीरो परदे पर क्या कर रहा है, उससे पहले उसकी देशभक्ति की मार्कशीट कहाँ है?दिलजीत का मामला सिर्फ़ फिल्म की रिलीज़ या विवाद तक सीमित नहीं है। यह समाज में बढ़ती देशभक्ति के नाम पर सेंसरशिप और आलोचना की प्रवृत्ति को उजागर करता है। इससे स्पष्ट होता है कि कला और मनोरंजन के क्षेत्र में संतुलन और समझदारी की कितनी आवश्यकता है।

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