लोकसभा में एक बार फिर हिंदी और इंग्लिश भाषा का मुद्दा गरमाया। मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के संबोधन का इंग्लिश ट्रांसलेशन तकनीकी खराबी के कारण कुछ समय के लिए रुक गया। इस मुद्दे पर तमिलनाडु के कुछ सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया और निशिकांत दुबे से अंग्रेजी में बोलने की मांग की। इस पर बीजेपी सांसद ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब आधे घंटे तक एक सांसद बांग्ला भाषा में बोल रही थीं, तब इन सांसदों को कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन उनके हिंदी में बोलने पर आपत्ति जताई जा रही है। निशिकांत दुबे ने कहा, “हंगामा करने वाले सदस्यों को अंग्रेजी या बांग्ला से कोई दिक्कत नहीं है, उन्हें केवल हिंदी से परेशानी है।”
कांग्रेस पर निशिकांत दुबे का हमला
निशिकांत दुबे ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे उत्तर भारतीयों को पसंद नहीं करते। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अंग्रेजी को इस तरह बढ़ावा दिया जाता रहा, तो भारत अपनी पहचान खो देगा और “इंग्लैंड” बन जाएगा। उन्होंने कहा, “एक दिन ऐसा आएगा जब हम फिर से गुलाम हो जाएंगे।” इसके साथ ही, उन्होंने राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी हमला बोला। दुबे ने कहा कि कांग्रेस को पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यों पर चर्चा करने में दिक्कत होती है, लेकिन देश की जनता को पहले प्रधानमंत्री के योगदान को जानना जरूरी है।
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पीठासीन सभापति का हस्तक्षेप
हंगामे के बीच पीठासीन सभापति दिलीप सैकिया ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण इंग्लिश ट्रांसलेशन में रुकावट आई है और इसे ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, हंगामा तब तक जारी रहा जब तक दुबे के संबोधन का इंग्लिश ट्रांसलेशन दोबारा शुरू नहीं हुआ। इस घटना ने सदन में भाषा को लेकर गहरे मतभेद को उजागर किया।
1965 और 1971 के युद्धों पर सवाल
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ऑपरेशन सिंदूर में खोए गए विमानों की जानकारी मांगने से पहले 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में भारत के खोए गए विमानों की जानकारी देनी चाहिए थी। दुबे ने दावा किया कि 1965 में भारत ने 45 और 1971 में 71 विमान खोए, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस बारे में कभी संसद में कोई रिपोर्ट पेश नहीं की। उन्होंने विपक्ष पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गलत बयानबाजी करने का आरोप लगाया। दुबे ने कहा कि बीजेपी ने राष्ट्रहित में इन मुद्दों को कभी राजनीतिक हथियार नहीं बनाया।
भाषा और संस्कृति का सवाल
यह घटना केवल तकनीकी खराबी तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने भाषा और क्षेत्रीय पहचान के मुद्दे को भी सामने ला दिया। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर चर्चा तेज हो गई है। निशिकांत दुबे के बयान ने यह सवाल उठाया कि क्या भारत में भाषाई विविधता को सम्मान मिल रहा है, या कुछ भाषाओं को दूसरों पर प्राथमिकता दी जा रही है।
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