ट्रंप का सोशल मीडिया बयान
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उनका फोकस रूस, तेल और टैरिफ पर रहा। शनिवार को उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए नाटो देशों और चीन पर तीखा हमला बोला। ट्रंप ने कहा कि अगर रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करना है, तो रूसी तेल की खरीद को तुरंत रोकना होगा और चीन पर 50 से 100% तक टैरिफ लगाया जाना चाहिए।ट्रंप का कहना है कि नाटो की प्रतिबद्धता कमजोर है और कुछ देश अब भी रूसी तेल खरीद रहे हैं, जिससे रूस को आर्थिक ताक़त मिल रही है। उनके अनुसार, जब तक ये खरीदारी नहीं रुकेगी, रूस पर दबाव डालना और शांति समझौता करना मुश्किल होगा।
भारत पर चुप्पी और कूटनीतिक संकेत
दिलचस्प बात यह रही कि इस बार ट्रंप ने भारत का नाम नहीं लिया। जबकि हाल के महीनों में वे भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर काफी आक्रामक रहे थे। कुछ हफ्ते पहले उन्होंने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने तक की बात कही थी, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी।ट्रंप की इस चुप्पी को कई विश्लेषक कूटनीतिक रणनीति मान रहे हैं। ऐसा लगता है कि उनका मकसद भारत के साथ संबंधों को फिर से पटरी पर लाना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर संतुलित संदेश देना हो सकता है।
चीन पर केंद्रित रणनीति
इस बार ट्रंप का ध्यान पूरी तरह चीन पर है। उनका दावा है कि चीन पर भारी टैरिफ लगाया जाए, ताकि उसकी रूस से करीबी कमजोर पड़े। उनका मानना है कि यदि चीन को आर्थिक झटका दिया गया, तो रूस-यूक्रेन युद्ध के खत्म होने की संभावना तेज़ हो सकती है।हालांकि, अभी तक न तो नाटो देशों ने और न ही चीन ने ट्रंप के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया दी है।
अमेरिकी चुनाव और अंतरराष्ट्रीय मंच
अमेरिकी चुनावों की आहट के बीच, ट्रंप अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर से एक्टिव हो गए हैं। उनके बयान यह दर्शाते हैं कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध का इस्तेमाल वैश्विक दबाव बनाने के लिए कर रहे हैं। साथ ही, भारत पर उनकी चुप्पी यह संकेत देती है कि वे अपने कूटनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव ला सकते हैं।

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