October 15, 2025

डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा शुल्क बढ़ाया, अमेरिका लौटने की Microsoft और JPMorgan की सलाह

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने H-1B वीजा आवेदन शुल्क को 100,000 डॉलर सालाना तक बढ़ाने का कार्यकारी आदेश (Executive Order) जारी किया। यह फैसला अमेरिकी टेक इंडस्ट्री के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह उद्योग बड़ी मात्रा में भारत और चीन से आए हुए टैलेंट पर निर्भर करता है।

इस बढ़ोतरी के बाद तकनीकी दिग्गज Microsoft, Meta और Amazon ने अपने H-1B और H-4 वीजा धारकों को सलाह दी है कि वे 21 सितंबर से पहले अमेरिका लौट आएं, ताकि किसी तरह की कानूनी या प्रशासनिक समस्याओं से बचा जा सके।

Microsoft और JPMorgan का कर्मचारी सलाह पत्र

रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, Microsoft ने अपने कर्मचारियों को आंतरिक ईमेल के जरिए निर्देश दिया कि जो H-1B और H-4 वीजा धारक फिलहाल अमेरिका के बाहर हैं, वे 21 सितंबर से पहले अमेरिका लौट आएं। ईमेल में Microsoft ने लिखा,
“हम दृढ़ता से सुझाव देते हैं कि H-1B और H-4 वीजा धारक कल तक अमेरिका लौट आएं।”

सिर्फ Microsoft ही नहीं, बल्कि JPMorgan के इमिग्रेशन काउंसल ने भी H-1B वीजा धारकों को देश में बने रहने और विदेश यात्रा से बचने की सलाह दी।

H-1B वीजा शुल्क वृद्धि का कारण

ट्रम्प प्रशासन ने H-1B वीजा पर यह बढ़ा हुआ शुल्क इसलिए लगाया है ताकि कंपनियों द्वारा वीजा का दुरुपयोग रोका जा सके और केवल “उच्च कुशल” (highly skilled) कर्मचारियों को अमेरिका में लाया जा सके।

व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रेटरी Will Scharf ने कहा कि H-1B वीजा प्रणाली में सबसे ज्यादा दुरुपयोग होता है। उनका कहना है,
“H-1B गैर-इमिग्रेंट वीजा कार्यक्रम को केवल उन कुशल कर्मचारियों के लिए होना चाहिए, जिनकी विशेषज्ञता अमेरिकी कर्मचारियों से नहीं मिल सकती। इस घोषणा के बाद कंपनियों को H-1B आवेदकों के लिए $100,000 का शुल्क देना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे लोग वास्तव में उच्च कौशल वाले हैं और अमेरिकी कर्मचारियों से प्रतिस्थापित नहीं किए जा सकते।”

H-1B वीजा क्या है?

H-1B वीजा एक गैर-इमिग्रेंट वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेषज्ञ नौकरियों (specialty jobs) के लिए भर्ती करने की अनुमति देता है। ये नौकरियां आम तौर पर साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथमेटिक्स (STEM) और आईटी सेक्टर में होती हैं।

इस वीजा के तहत कम से कम बैचलर डिग्री आवश्यक होती है और कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके द्वारा लाए जाने वाले कर्मचारी अमेरिका के कर्मचारियों से प्रतिस्थापित नहीं किए जा सकते।

H-1B शुल्क वृद्धि का अमेरिकी उद्योग पर असर

इस निर्णय से टेक इंडस्ट्री पर बड़ा असर पड़ सकता है। बड़ी कंपनियों को अब उच्च शुल्क का भुगतान करना होगा, जिससे वे केवल सबसे प्रतिभाशाली और विशेषज्ञ कर्मचारियों को ही भर्ती कर पाएंगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अमेरिका में स्थानीय रोजगार की सुरक्षा बढ़ेगी और कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी कर्मचारी केवल आवश्यक क्षेत्रों में काम करें।

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