जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में हजरतबल दरगाह में लगे नींव पत्थर पर राष्ट्रीय प्रतीक के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए हैं। यह विवाद तब बढ़ा जब उस नींव पत्थर को नुकसान पहुँचाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।मुख्यमंत्री ने 6 सितंबर को मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार के प्रतीक चिन्ह केवल सरकारी भवनों या कार्यक्रमों में ही इस्तेमाल किए जाने चाहिए, धार्मिक स्थलों पर नहीं। उनका कहना था, “मस्जिद, दरगाह, मंदिर, गुरुद्वारा जैसे धार्मिक स्थल सरकार के अंतर्गत नहीं आते, इसलिए वहां सरकारी प्रतीकों का इस्तेमाल उचित नहीं है।
सवाल और परंपरा का उल्लंघन
उमर अब्दुल्ला ने यह भी सवाल उठाया कि हजरतबल दरगाह में नींव पत्थर लगाने की क्या आवश्यकता थी? क्या सिर्फ काम पूरा करना ही पर्याप्त नहीं था? उन्होंने याद दिलाया कि यह दरगाह का स्वरूप शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के कार्यकाल में दिया गया था, लेकिन उन्होंने कभी अपने नाम या सरकारी प्रतीक को वहां नहीं लगाया।मुख्यमंत्री ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर सरकारी प्रतीकों का इस्तेमाल केवल परंपरा का उल्लंघन ही नहीं करता, बल्कि इससे अनावश्यक विवाद और तनाव भी उत्पन्न होता है
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। यह मामला स्थानीय प्रशासन के लिए संवेदनशील बन गया है, क्योंकि हजरतबल दरगाह श्रीनगर का एक अत्यंत पवित्र धार्मिक स्थल है, जहां पैगंबर मोहम्मद की पवित्र निशानी संरक्षित है।स्थानीय प्रशासन स्थिति को नियंत्रण में रखने और विवाद को और बढ़ने से रोकने के लिए सक्रिय प्रयासरत है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
यह विवाद राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर बहस का कारण बन गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सभी नागरिकों से शांतिपूर्ण और सम्मानजनक व्यवहार बनाए रखने की अपील की है।इस घटना ने दिखाया कि धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के साथ सावधानी और संवेदनशीलता कितनी महत्वपूर्ण है।
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