नई दिल्ली — कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में आरोप तय किए हैं। जांच में सामने आया है कि वाड्रा ने दो कंपनियों के जरिए करीब 58 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।
क्या है पूरा मामला?
ईडी के अनुसार, वाड्रा को यह पैसा स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग नाम की कंपनियों के जरिए मिला। इसमें करीब 53 करोड़ रुपये स्काईलाइट के माध्यम से और 5 करोड़ रुपये ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग के जरिये वाड्रा तक पहुंचे। इतना ही नहीं, वाड्रा ने इस पूरे सौदे के लिए दिल्ली के सुखदेव विहार में पंजीकृत अपनी सात कंपनियों का भी इस्तेमाल किया।
कौन-कौन आया जांच के घेरे में?
ईडी की चार्जशीट में सिर्फ वाड्रा ही नहीं, बल्कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रसिद्ध रियल एस्टेट कंपनी DLF लिमिटेड का भी नाम सामने आया है। जांच एजेंसी ने कहा है कि यह पूरा मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दर्ज किया गया है, जिसमें 3 से 7 साल की सजा और अवैध संपत्ति की जब्ती की संभावना है।
कांग्रेस का पलटवार
रॉबर्ट वाड्रा के कार्यालय ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। उनका कहना है कि वर्तमान सरकार बदले की भावना से काम कर रही है, और यह कार्रवाई केवल छवि धूमिल करने की कोशिश है।
अब बड़े सवाल देश के सामने
- क्या रॉबर्ट वाड्रा को जेल होगी?
- क्या कांग्रेस पर फिर से भ्रष्टाचार का दबाव बढ़ेगा?
- क्या वाड्रा की तिजोरी में छिपा है काले धन का सच?
- क्या मनी लॉन्ड्रिंग पर अब सख्त एक्शन होगा?
जनता का सवाल, सरकार का जवाब?
इस पूरे प्रकरण ने कांग्रेस को असहज कर दिया है। 2024 के बाद कांग्रेस जिस छवि सुधार की कोशिश में जुटी है, इस तरह के मामले उस पर सीधा असर डालते हैं। वहीं बीजेपी और विपक्षी दल इसे भ्रष्टाचार बनाम पारदर्शिता की लड़ाई के तौर पर देख रहे हैं।अब देखना यह है कि अदालत इस केस में क्या रुख अपनाती है, और क्या रॉबर्ट वाड्रा सलाखों के पीछे जाएंगे?
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