September 7, 2025

उत्तर भारत में मॉनसून का कहर: 50 सालों में दूसरा सबसे अधिक बारिश वाला सीजन

उत्तर भारत में इस साल मॉनसून ने भारी तबाही मचाई है। 22 अगस्त से 4 सितंबर 2025 तक हुई भीषण बारिश ने सामान्य जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, इस दौरान उत्तर भारत में 205.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 73.1 मिमी से तीन गुना अधिक है। यह पिछले 14 वर्षों में सबसे अधिक बारिश है और 1988 के बाद सबसे ज्यादा बरसात वाला मॉनसून साबित हो रहा है। इस प्राकृतिक आपदा ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी नुकसान पहुंचाया है।

पंजाब में दशक की सबसे भीषण बाढ़

पंजाब में इस दशक की सबसे भयावह बाढ़ ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं, जिससे लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। गांवों और शहरों में जलभराव की स्थिति ने जनजीवन को ठप कर दिया है। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा।

जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से तबाही

जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मार्ग पर बादल फटने की घटनाओं ने भारी नुकसान पहुंचाया है। सड़कों और रास्तों के क्षतिग्रस्त होने से तीर्थयात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भूस्खलन और बाढ़ ने क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं को चरमरा दिया है, जिससे प्रशासन के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं।

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दिल्ली में यमुना का प्रकोप

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। भारी बारिश के कारण नदी उफान पर है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। सड़कों पर जलभराव और यातायात जाम ने राजधानी की रफ्तार को रोक दिया है। प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।

हिमाचल और उत्तराखंड में भूस्खलन की मार

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं। सड़कें बंद होने और गांवों के अलग-थलग होने से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है, और कई क्षेत्रों में बिजली व संचार सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।

मॉनसून 2025: 37% अधिक बारिश

आईएमडी के अनुसार, इस मॉनसून सीजन में अब तक उत्तर भारत में 691.7 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 37% अधिक है। अगर बाकी सीजन में सामान्य बारिश भी होती है, तो कुल बारिश 750 मिमी से अधिक हो सकती है। यह 1988 के रिकॉर्ड (813.5 मिमी) के बाद पिछले 50 वर्षों में दूसरा सबसे अधिक बारिश वाला सीजन होगा।

क्यों हो रही इतनी बारिश?

आईएमडी के चीफ मृत्युंजय मोहपात्रा के अनुसार, इस बारिश का कारण दो मौसमी सिस्टमों का एक साथ मिलना है। पश्चिमी विक्षोभ ने भूमध्य सागर से नमी युक्त हवाएं लाईं, जो मॉनसून की हवाओं के साथ मिल गईं। यह स्थिति 23 से 27 अगस्त और फिर 29 अगस्त से सितंबर तक देखी गई। इस असामान्य मौसमी गतिविधि ने भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं को बढ़ावा दिया, जैसा कि 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान हुआ था।

क्षेत्रवार बारिश का प्रभाव

पंजाब में पहले सप्ताह में 388% और दूसरे सप्ताह में 454% अधिक बारिश दर्ज की गई। हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ में 325%, हिमाचल प्रदेश में 314%, पश्चिम राजस्थान में 285%, जम्मू-कश्मीर में 240%, और उत्तराखंड में 190% अधिक बारिश हुई। पूर्वी उत्तर प्रदेश को छोड़कर, उत्तर-पश्चिम भारत के सभी हिस्सों में बारिश ने कहर बरपाया है।

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