अंतिम दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ा संसद सत्र
मॉनसून सत्र का अंतिम दिन, गुरुवार, संसद के लिए बेहद हंगामेदार रहा। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही विपक्ष के शोर-शराबे के कारण कार्यवाही बाधित रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में मौजूद थे, लेकिन विपक्ष का हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष को शांत करने की बार-बार कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंततः, हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। दूसरी ओर, राज्यसभा में भी यही स्थिति रही, जहां उपसभापति ने हंगामे के बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
प्रश्नकाल पर हंगामे का साया
गुरुवार को न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा में प्रश्नकाल संचालित हो सका। प्रश्नकाल के दौरान सांसद विभिन्न मंत्रियों से उनके विभागों से संबंधित सवाल पूछते हैं, और केंद्र सरकार के मंत्री इनका जवाब देते हैं। इसके अलावा, लिखित प्रश्नों के उत्तर भी सदन में प्रस्तुत किए जाते हैं। हालांकि, इस सत्र के अधिकांश कार्यदिवसों में हंगामा प्रश्नकाल को प्रभावित करता रहा, और अंतिम दिन भी यही स्थिति देखने को मिली। विपक्ष बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन रिव्यू (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा था, लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली।
राज्यसभा में नोटिस पर विवाद
राज्यसभा में भी हंगामे का दौर जारी रहा। उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि उन्हें चार अलग-अलग विषयों पर चर्चा के लिए नोटिस प्राप्त हुए थे, जो नियम 267 के तहत दिए गए थे। हालांकि, उन्होंने सभी नोटिसों को नियमानुसार न होने के कारण अस्वीकार कर दिया। इस फैसले के बाद विपक्षी सांसद अपनी सीटों से उठकर नारेबाजी करने लगे। उपसभापति ने कहा कि विपक्ष शून्यकाल को चलने देना नहीं चाहता। इसके बाद, सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
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लोकसभा में बिहार मुद्दे पर हंगामा
लोकसभा में भी स्थिति अलग नहीं थी। कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसद बिहार में मतदाता सूची के गहन रिव्यू के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर अपनी सीटों से उठकर नारेबाजी करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष को समझाने की कोशिश की और कहा कि यह सत्र का अंतिम दिन है, और प्रश्नकाल को चलने देना चाहिए। लेकिन हंगामा नहीं थमने पर कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक और फिर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
सत्र का निराशाजनक अंत
मॉनसून सत्र का यह अंत संसद की कार्यवाही के लिए निराशाजनक रहा। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तनाव ने न केवल प्रश्नकाल बल्कि कई महत्वपूर्ण चर्चाओं को भी प्रभावित किया। बिहार में मतदाता सूची के मुद्दे पर विपक्ष की मांग और आसन के इनकार ने दोनों सदनों में हंगामे को और बढ़ा दिया। इस सत्र में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद थी, लेकिन हंगामे ने संसद की कार्यवाही को बार-बार बाधित किया।
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