आज नवरात्रि का आठवां दिन है, जिसे अष्टमी कहा जाता है और यह दिन समर्पित है माँ महागौरी को।माँ दुर्गा का यह रूप शुद्धता, सौंदर्य, करुणा और शांति का प्रतीक माना जाता है।माना जाता है कि माँ महागौरी की उपासना से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
महागौरी की कथा: तपस्या से दिव्यता तक
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी।इस तप के कारण उनका शरीर धूल-धूसरित होकर काला पड़ गया था।उनकी भक्ति और संकल्प से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान करवाया, जिससे उनका रूप उज्ज्वल, गोरा और अलौकिक हो गया।इस दिव्य रूप को ही माँ महागौरी के नाम से पूजा जाता है।
गुलाबी रंग और नारियल का भोग माँ की प्रिय चीज़ें
माँ महागौरी को गुलाबी रंग अत्यंत प्रिय है।इसलिए भक्त इस दिन गुलाबी वस्त्र पहनते हैं और घरों को भी गुलाबी फूलों और रंगों से सजाते हैं।माँ को नारियल का भोग चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है — इससे जीवन में स्थिरता, सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
विशेष पूजा विधि कैसे करें माँ महागौरी की आराधना?
आज के दिन माँ महागौरी की पूजा इस प्रकार की जाती है:
- प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र पहनें (विशेषकर गुलाबी)।
- माँ की प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध करें।
- उन्हें गुलाबी फूल, नारियल, कपूर और घी का दीप अर्पित करें।
- “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- कन्याओं को आमंत्रित करके उनका पूजन करें।
नवरात्रि का सार शक्ति के साथ शांति की साधना
नवरात्रि का हर दिन किसी विशेष देवी को समर्पित होता है, लेकिन अष्टमी का दिन विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्ची शक्ति कोमलता, करुणा और पवित्रता से जुड़ी होती है।

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