नेपाल की सड़कों से लेकर सदन तक मची उथल-पुथल अब शांत हो गई है। शुक्रवार रात, 12 सितंबर 2025 को सुशीला कार्की ने देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। युवाओं की पसंद और अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर कार्की का भारत से गहरा नाता है। उनकी पढ़ाई और जीवन के अहम पड़ाव वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से जुड़े हैं। आइए, उनकी इस प्रेरक यात्रा और भारत से रिश्ते को समझते हैं।
बीएचयू से शुरू हुई यात्रा
सुशीला कार्की ने 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया। यहीं उनकी मुलाकात उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई, जो एक नेपाली कांग्रेस के युवा नेता थे। बीएचयू में बिताए सालों ने कार्की के व्यक्तित्व को निखारा। उनके प्रोफेसर दीपक मलिक, जो अब भी उनसे संपर्क में हैं, बताते हैं कि कार्की हमेशा से ईमानदार और निष्पक्ष थीं। मलिक ने नवंबर 2024 में काठमांडू में कार्की से मुलाकात की थी और उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती की तारीफ की। कार्की ने बतौर मुख्य न्यायाधीश कई भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़े फैसले लिए, जिससे उन्हें व्यापक सम्मान मिला।
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पति और ऐतिहासिक हाईजैक
सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी की कहानी भी कम रोचक नहीं है। 10 जून 1973 को सुबेदी ने दो अन्य लोगों, नागेंद्र ढुंगेल और बसंत भट्टराई के साथ रॉयल नेपाल एयरलाइंस के एक विमान को हाईजैक किया था। इस विमान में बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा भी सवार थीं। यह हाईजैक राजा महेंद्र के पंचायत शासन के खिलाफ विद्रोह का हिस्सा था। इसका मकसद राजशाही के खिलाफ आंदोलन के लिए धन जुटाना था। इस साजिश में भविष्य के नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला और सुशील कोइराला भी शामिल थे।
बिहार में उतरा हाईजैक विमान
अपहरणकर्ताओं ने पायलट को विमान को बिहार के अररिया जिले में उतारने का आदेश दिया, जो नेपाल सीमा के पास है। वहां से वे जंगल में भाग गए, अपने साथ काठमांडू ले जाया जा रहा एक नेपाली बैंक का पैसा लेकर। सुबेदी इसके बाद वाराणसी में छिप गए, लेकिन 1975 में भारत में इमरजेंसी लागू होने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दो साल जेल में बिताने के बाद उन्हें नेपाल सरकार को सौंप दिया गया। अन्य अपहरणकर्ताओं को भी जेल हुई, लेकिन इमरजेंसी हटने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
भारत से गहरा लगाव
सीएनएन-न्यूज18 को दिए एक इंटरव्यू में सुशीला कार्की ने भारत के प्रति अपने लगाव को साझा किया। उन्होंने कहा, “बीएचयू में बिताए सालों ने मेरे अंदर एक स्थायी छाप छोड़ी।” भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों की सराहना करते हुए उन्होंने भारतीय नेतृत्व, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। कार्की ने कहा, “मोदी-जी की मेरे मन में अच्छी छवि है।” भारत ने उनकी अंतरिम सरकार का स्वागत किया है और दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने की उम्मीद जताई है।
नेपाल के लिए नई उम्मीद
सुशीला कार्की की नियुक्ति ने नेपाल में नई उम्मीद जगाई है। हाल के प्रदर्शनों, जिनमें 25 अरब नेपाली रुपये का नुकसान हुआ और 51 लोगों की जान गई, ने देश को हिलाकर रख दिया था। कार्की की सरकार अब दो अहम आयोग बनाएगी—एक हिंसा की जांच के लिए और दूसरा भ्रष्टाचार रोकने के लिए। उनकी ईमानदारी और भारत से गहरा नाता नेपाल को स्थिरता और प्रगति की राह पर ले जा सकता है। क्या यह बदलाव नेपाल का भविष्य बदलेगा? यह वक्त बताएगा।
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