नेपाल की राजनीति ने एक ऐतिहासिक मोड़ लिया है। पहली बार एक महिला, जो पहले मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, अब देश की बागडोर संभाल रही हैं। सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं। यह बदलाव उस समय आया है, जब देश गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा है। आइए, इस बड़े घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
सुशीला कार्की का उदय: एक नई शुरुआत
शुक्रवार रात को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। यह नियुक्ति कोई साधारण घटना नहीं है। जनता की मांग थी कि देश को एक गैर-राजनीतिक, ईमानदार और विश्वसनीय चेहरा मिले, जो व्यवस्था को पटरी पर ला सके। कार्की, जो अपनी निष्पक्षता और न्यायिक कठोरता के लिए जानी जाती हैं, इस मांग का जवाब बनकर उभरी हैं। उनकी नियुक्ति को नेपाल के युवाओं, खासकर जेन-जी ने अपनी जीत के रूप में देखा है।
संकट के बीच उम्मीद की किरण
नेपाल हाल ही में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों से गुजरा है, जिसने देश को हिलाकर रख दिया। इन प्रदर्शनों में करीब 25 अरब नेपाली रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें होटल इंडस्ट्री को भारी क्षति पहुंची। दुखद रूप से, 51 लोगों की जान गई, जिनमें एक भारतीय महिला भी शामिल थीं। इन प्रदर्शनों ने सत्ता को झुकने पर मजबूर किया और सुशीला कार्की की नियुक्ति इसका परिणाम है। उनकी अंतरिम सरकार अब देश में शांति और स्थिरता लाने की दिशा में काम करेगी।
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अंतरराष्ट्रीय समर्थन: भारत का साथ
भारत ने सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार का स्वागत किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत नेपाल के साथ विकास और भाईचारे के लिए मिलकर काम करता रहेगा। यह बयान दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाता है। नेपाल के इस नए अध्याय में भारत की सकारात्मक भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
कार्की की सरकार: योजनाएं और वादे
सुशीला कार्की की सरकार ने शुरूआत में तीन सदस्यों वाली एक छोटी कैबिनेट बनाई है, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जाएगा। उनकी सरकार दो महत्वपूर्ण आयोग गठित करने की योजना बना रही है। पहला, एक न्यायिक आयोग जो हालिया हिंसा की जांच करेगा। दूसरा, एक भ्रष्टाचार निवारक आयोग, जो प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। ये कदम नेपाल की व्यवस्था को मजबूत करने और जनता का भरोसा जीतने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
युवा शक्ति और लोकतंत्र का नया स्वर
नेपाल के युवाओं ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है। सोशल मीडिया पर संदेशों की बाढ़ आ गई है, जहां लोग कह रहे हैं, “देश अब मां के प्यार, त्याग और स्नेह से चलेगा।” यह नारा सुशीला कार्की की नियुक्ति के प्रति जनता के उत्साह को दर्शाता है। नेपाल का लोकतंत्र एक नए मोड़ पर है, और यह बदलाव स्थायी सुधार ला सकता है।
भविष्य की राह
सुशीला कार्की के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। भ्रष्टाचार, अस्थिरता और सामाजिक असंतोष से जूझ रहे नेपाल को एक मजबूत और पारदर्शी नेतृत्व की जरूरत है। उनकी नियुक्ति ने जनता में उम्मीद जगाई है, लेकिन यह बदलाव कितना स्थायी होगा, यह वक्त ही बताएगा। एक बात तय है—नेपाल की जनता की आवाज अब सत्ता से बड़ी हो चुकी है।
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