प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने निकले हैं। इस बार उनका दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि कूटनीतिक लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। PM Modi Canada Visit, PM Modi Meloni Meeting, और PM Modi Ukraine Talks जैसे शब्द आज दुनिया भर के समाचारों की सुर्खियों में हैं।
इटली की पीएम मेलोनी से होगी खास मुलाकात: “Melodi जोड़ी” फिर साथ!
प्रधानमंत्री मोदी की पहली द्विपक्षीय बैठक इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ हो सकती है। दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात G20 समिट में हुई थी, जहां “Melodi जोड़ी” की तस्वीर सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर गई थी।
इस बार भी उम्मीद है कि दोनों देश रणनीतिक, रक्षा और व्यापारिक रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में चर्चा करेंगे।
कनाडा के साथ तल्ख़ी के बीच संभावित बैठक
PM Modi Canada Visit इस बार बेहद संवेदनशील मानी जा रही है, क्योंकि भारत और कनाडा के बीच हाल ही में खालिस्तानी गतिविधियों और सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर रिश्तों में खटास आई थी।
यदि प्रधानमंत्री मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बीच कोई बातचीत होती है, तो यह रिश्तों में सुधार की ओर एक बड़ा कदम हो सकता है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत की अटकलें
एक और बड़ी खबर ये है कि पीएम मोदी की मुलाकात यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से हो सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने अब तक एक संतुलित रुख अपनाया है, लेकिन इस मुलाकात से रूस को एक राजनीतिक संकेत भी जा सकता है।
जर्मनी और अन्य यूरोपीय नेताओं से मुलाकात की भी संभावना
प्रधानमंत्री मोदी इस विदेश दौरे पर जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ और यूरोपीय यूनियन के अन्य नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं। इससे भारत-यूरोप व्यापार समझौते को मजबूती मिल सकती है, जिस पर काफी समय से बातचीत जारी है
क्या मिलेगा भारत को इस दौरे से?
- नई व्यापार और रक्षा डील्स की संभावनाएं
- भारत की वैश्विक साख में इज़ाफा
- कनाडा और यूक्रेन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भारत की भूमिका स्पष्ट
- भारत की ‘मध्यस्थ’ छवि को मजबूती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह विदेश दौरा केवल औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है। यह भारत के कूटनीतिक भविष्य की दिशा तय करने वाला हो सकता है। Meloni के साथ बढ़ती नज़दीकियां, Trudeau से संभावित तालमेल, और Zelenskyy से संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत — ये सभी दर्शाते हैं कि भारत अब सिर्फ ‘देखने वाला’ नहीं, बल्कि ‘निर्णय लेने वाला’ देश बन चुका है।
संबंधित पोस्ट
जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा की खाली सीटें: द्विवार्षिक चुनाव की व्यवस्था लागू करने में चुनौतियां
शशि थरूर का केरल के लिए आर्थिक सुधार का रोडमैप: निवेश और विकास पर जोर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: सेना को हर चुनौती के लिए रहना होगा तैयार