प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के अपुलिया में आयोजित 51वें G7 शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व न केवल मजबूती से किया, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की कूटनीतिक ताकत को भी उजागर किया। इस सम्मेलन में उन्होंने जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल साउथ, टेक्नोलॉजी साझेदारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे अहम विषयों पर भारत की संतुलित और वैश्विक दृष्टिकोण को साझा किया।
ग्लोबल लीडर्स से प्रमुख मुलाकातें
पीएम मोदी ने सम्मेलन के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जापान के पीएम फुमियो किशिदा और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। इन द्विपक्षीय मुलाकातों में व्यापार, निवेश, इंडो-पैसिफिक रणनीति और तकनीकी सहयोग जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई।
खासकर फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं के साथ हुई बातचीत ने भारत की विदेश नीति में स्थिरता और दूरदृष्टि को दर्शाया। फ्रांस के साथ रक्षा और ऊर्जा साझेदारी, जबकि ब्रिटेन के साथ टेक और इनोवेशन पर फोकस रहा।
युद्ध नहीं, संवाद चाहिए: पीएम मोदी
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्पष्ट नीति एक बार फिर दुनिया के सामने आई। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा, “युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।” यह बयान दर्शाता है कि भारत शांति और कूटनीति में विश्वास करता है और यह संदेश सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक महत्व रखता है।
वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बने पीएम मोदी
G7 मंच पर पीएम मोदी ने विकासशील देशों — जिन्हें ‘ग्लोबल साउथ’ कहा जाता है — की चिंताओं को खुलकर उठाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन देशों को केवल सुना न जाए, बल्कि उन्हें वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में समान भागीदारी दी जाए। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत अब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के विकासशील देशों के लिए नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है।
हल्के पल: ‘Melodi’ हुआ वायरल
गंभीर कूटनीति के बीच कुछ हल्के-फुल्के क्षण भी देखे गए। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से पीएम मोदी की मुलाकात सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और #Melodi ट्रेंड करने लगा। इस दोस्ताना माहौल ने दिखाया कि राजनीति में भी मानवीय जुड़ाव कितना मायने रखता है।
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के साथ भी पीएम मोदी की मुलाकात काफी सकारात्मक रही और दोनों नेताओं ने यूरोप-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
भारत की नई भूमिका
G7 समिट में भारत की भागीदारी अब केवल औपचारिक नहीं रही — यह एक वैश्विक नेतृत्व की भूमिका का संकेत बन चुकी है। भारत की अर्थव्यवस्था, जनसंख्या, टेक्नोलॉजी क्षमता और कूटनीतिक दृष्टिकोण ने उसे एक जिम्मेदार और मजबूत वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है।
पीएम मोदी ने G7 मंच से यह संदेश दिया कि भारत अब केवल सुनने वाला देश नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने वाला राष्ट्र बन चुका है।
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