शिक्षा के लिए गुहार, मायरा की मासूम अपील
कानपुर की नेहा अपनी बच्ची मायरा के साथ सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन में पहुंची। उन्होंने अपनी बेटी के स्कूल एडमिशन के लिए गुहार लगाई। मासूम मायरा को देखकर मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री ने पहले उसका हालचाल पूछा और फिर सवाल किया, “बेटी, क्या बनना चाहती हो?” मायरा का जवाब था, “डॉक्टर।” यह सुनकर मुख्यमंत्री ने उसे चॉकलेट दी और अधिकारियों को तुरंत एडमिशन कराने का निर्देश दिया। लेकिन सवाल यह है कि कानपुर जैसे बड़े जिले का यह मामला मुख्यमंत्री तक क्यों पहुंचा? क्या शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत मायरा का दाखिला अपने आप नहीं हो जाना चाहिए था? जिला प्रशासन आखिर कर क्या रहा है?
जनता दर्शन: समस्याओं का मंच
मुख्यमंत्री का जनता दर्शन कार्यक्रम जन समस्याओं के समाधान का एक प्रभावी मंच है। यहां पुलिस, राजस्व, चिकित्सा, शिक्षा, आवास, रोजगार और जमीन जैसे विविध मुद्दों पर लोग अपनी गुहार लेकर पहुंचते हैं। सोमवार को भी जनता दर्शन में 15 मामले जमीन, छह पुलिस, चार नाली-सड़क, और चार आर्थिक सहायता से जुड़े थे। इसके अलावा शिक्षा, स्थानांतरण और आवास जैसे मुद्दों पर भी लोगों ने मुख्यमंत्री से मदद मांगी। मुख्यमंत्री ने सभी मामलों में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन इन समस्याओं का समाधान करने में नाकाम साबित हो रहा है।
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आरटीई के तहत लापरवाही
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित हैं। दाखिला प्रक्रिया ऑनलाइन है, जहां माता-पिता आवेदन करते हैं, और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) इसे सत्यापित कर लॉटरी के माध्यम से दाखिला सुनिश्चित करते हैं। फिर भी, कानपुर और मुरादाबाद जैसे जिलों में बच्चे और उनके माता-पिता को मुख्यमंत्री तक पहुंचना पड़ रहा है। मुरादाबाद की वाची को भी जून में जनता दर्शन में मुख्यमंत्री से मिलकर आरटीई के तहत एक प्रतिष्ठित स्कूल में दाखिला मिला। इसी तरह, गोरखपुर की पंखुड़ी त्रिपाठी ने फीस माफी के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाई, और उनके निर्देश पर स्कूल ने फीस माफ कर दी। सवाल है कि बीएसए और जिला प्रशासन इन बच्चों के दाखिले के लिए पहले से सक्रिय क्यों नहीं हैं?
जनसुनवाई में बड़े जिले फिसड्डी
उत्तर प्रदेश के बड़े जिले जैसे लखनऊ, कानपुर, नोएडा और वाराणसी जन शिकायतों के निस्तारण में पीछे हैं। इंटिग्रेटेड ग्रिवांस रीड्रेसल सिस्टम (आईजीआरएस) रैंकिंग में छोटा जिला श्रावस्ती शीर्ष पर है। श्रावस्ती के डीएम अजय कुमार द्विवेदी बताते हैं कि जिले में शिकायत निस्तारण के लिए विशेष रणनीति अपनाई गई है। रोज सुबह 10 बजे जनसुनवाई, दिनभर प्रगति की समीक्षा, और रात 9 बजे असंतुष्ट मामलों की जांच की जाती है। यह रणनीति पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करती है। टॉप 10 जिलों में शाहजहांपुर, अमेठी, हमीरपुर, और अंबेडकरनगर जैसे जिले शामिल हैं, लेकिन कानपुर जैसे बड़े जिले इस सूची में नहीं हैं।

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