लोकतंत्र का पवित्र पर्व और सवालों का सैलाब
चुनाव, जिसे लोकतंत्र का सबसे पवित्र पर्व कहा जाता है, आज सवालों के घेरे में है। जब वोट जनता का हो, लेकिन फैसला किसी और की जेब में हो, तो क्या यह लोकतंत्र की आत्मा पर चोट नहीं है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर ‘वोट चोरी’ हुई। उनके मुताबिक, 1,00,250 फर्जी वोटों के जरिए बीजेपी को जिताने की साजिश रची गई। ये आरोप न केवल कर्नाटक तक सीमित हैं, बल्कि राहुल गांधी ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित धांधली का हिस्सा बताया।
राहुल गांधी के आरोप और मांग
राहुल गांधी ने इलेक्शन कमीशन से साफ जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि सबूत—जैसे फर्जी मतदाता, डुप्लिकेट वोटर, अवैध पते, और सीसीटीवी फुटेज में दर्ज गड़बड़ियां—कमीशन के पास पहले से मौजूद हैं। उनकी मांग है कि ये सारे सबूत एक हफ्ते में सार्वजनिक किए जाएं और कर्नाटक सीआईडी को सौंपे जाएं। गांधी ने यह भी कहा कि अगर कमीशन ऐसा नहीं करता, तो जनता यह सवाल पूछेगी कि आखिर वह दोषियों को क्यों बचा रहा है? उनके शब्दों में, “यह अब सिर्फ वोट का मामला नहीं, बल्कि जनता के भरोसे का सवाल है।”
इलेक्शन कमीशन का जवाब
इलेक्शन कमीशन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे ‘बेबुनियाद’ और ‘भ्रामक’ करार दिया। कमीशन ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस को गलत ठहराया और कहा कि ऐसे गंभीर आरोपों को साबित करने के लिए लिखित शपथ-पत्र के साथ सबूत पेश किए जाएं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर सात दिनों के भीतर शपथ-पत्र नहीं दिया गया, तो इन आरोपों को ‘अमान्य’ माना जाएगा। कमीशन ने यह भी स्पष्ट किया कि मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट देने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में गोपनीयता के आधार पर खारिज कर दिया था।
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कर्नाटक में फर्जीवाड़े का दावा
राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा में 11,956 डुप्लिकेट वोटर, 40,009 अवैध पतों, 10,452 एक ही पते पर पंजीकृत मतदाता, और 4,132 अवैध फोटो वाले मतदाताओं का हवाला दिया। उन्होंने एक 70 साल की महिला, शकुनी रानी, का उदाहरण देते हुए दावा किया कि उन्होंने दो बार मतदान किया। हालांकि, कमीशन ने इसका खंडन करते हुए कहा कि प्रारंभिक जांच में शकुनी रानी ने केवल एक बार वोट दिया। इसके अलावा, कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र और हरियाणा में भी ऐसी गड़बड़ियों की बात सामने आई है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त की राय
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने कमीशन की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के आरोपों की जांच होनी चाहिए थी, न कि उन्हें शपथ-पत्र के लिए दबाव डाला जाना चाहिए। कुरैशी ने कमीशन के रवैये को ‘आपत्तिजनक’ बताया और कहा कि ऐसी शिकायतों पर तुरंत जांच शुरू करना सामान्य प्रक्रिया है।
सच्चाई की ज़रूरत
यह विवाद अब सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मामला नहीं है। यह भारत के लोकतंत्र की पारदर्शिता और विश्वसनीयता का सवाल है। अगर वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां हैं, तो उन्हें ठीक करना इलेक्शन कमीशन की ज़िम्मेदारी है। राहुल गांधी की मांग और कमीशन का जवाब दोनों ही इस बात को रेखांकित करते हैं कि जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए पारदर्शिता जरूरी है। सवाल यह है कि क्या कमीशन इन आरोपों की गहन जांच करेगा, या चुप्पी सच्चाई को दबा देगी? देश की नज़रें इस पर टिकी हैं।
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