मेलबर्न में स्वामीनारायण मंदिर पर नस्लीय हमला क्या 21वीं सदी में भी सुरक्षित नहीं हैं भारतीय?

मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया एक शहर जो अपनी बहुसांस्कृतिकता और समावेशी सोच के लिए जाना जाता है, वहां से आई यह खबर दिल दहला देने वाली है। 21 जुलाई 2025 को मेलबर्न के बोरोनिया उपनगर में स्थित स्वामीनारायण हिंदू मंदिर को नस्लीय नफरत का निशाना बनाया गया। मंदिर की दीवारों पर “Go Home Brown जैसे आपत्तिजनक और नस्लभरे शब्दों से ग्रैफिटी की गई। यह घटना न केवल भारतवंशी समुदाय, बल्कि समूचे सभ्य समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है।

मंदिर ही नहीं, रेस्तरां भी बने निशाना

यह नस्लीय हमला केवल मंदिर की दीवारों तक सीमित नहीं रहा। पास में स्थित दो एशियाई रेस्तरां और एक हीलिंग सेंटर की दीवारों पर भी वही घृणित शब्द लिखे गए। यह स्पष्ट रूप से एक सुनियोजित हेट क्राइम (Hate Crime) था, जिसका मकसद केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि समुदाय को डराना और नीचा दिखाना था।

मंदिर सिर्फ इमारत नहीं, आस्था का प्रतीक

हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष मकरंद भगवत ने इस घटना पर गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि भारतीय समुदाय के लिए आस्था, शांति और एकता का केंद्र है।” उन्होंने बताया कि मंदिर में रोजाना प्रार्थनाएं, धार्मिक अनुष्ठान, और सामुदायिक आयोजन होते हैं। इस तरह का हमला न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि समुदाय की सामाजिक सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करता है

सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए विक्टोरिया की प्रीमियर जैसिंटा एलेन ने कहा, “यह केवल दीवार पर पेंट नहीं था, यह एक समुदाय को ‘पराया’ जताने की कोशिश थी।” उन्होंने इसे नस्लीय, घृणित और गहराई से विचलित करने वाला हमला बताया और कहा कि समाज में हर किसी को सुरक्षित और सम्मानित महसूस करने का अधिकार है।वहीं Multicultural Affairs मंत्री ने जल्द ही स्वामीनारायण मंदिर का दौरा करने और समुदाय से संवाद कर समर्थन जताने की बात कही है। विक्टोरिया पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है और अभी तक कुल चार जगहों पर एक जैसी ग्रैफिटी की पुष्टि की है।

क्या ऑस्ट्रेलिया में नस्लवाद अभी भी ज़िंदा है?

यह घटना एक बार फिर यह कड़वा सच उजागर करती है कि भले ही हम तकनीकी और आर्थिक रूप से 21वीं सदी में आगे बढ़ रहे हों, लेकिन नस्लवाद और सांस्कृतिक असहिष्णुता जैसी बीमारियां अब भी हमारे समाज में मौजूद हैं।ऑस्ट्रेलिया में पहले भी सिख गुरुद्वारों, मंदिरों और मुस्लिम स्थलों को निशाना बनाया गया है। यह एक पैटर्न है, जिसे केवल वैंडलिज़्म कहकर दरकिनार नहीं किया जा सकता।

भारतवंशी समुदाय के लिए क्या संदेश?

ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय प्रवासी देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा और समाज में अहम योगदान दे रहे हैं। मेलबर्न, सिडनी और ब्रिसबेन जैसे शहरों में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र, पेशेवर और व्यवसायी रहते हैं। इस तरह की घटनाएं उनके मनोबल को गिराने, और उन्हें अलग-थलग करने का काम करती हैं।अब समय है कि सिर्फ प्रतिक्रिया न दी जाए, बल्कि

  • स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए
  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस तरह के मामलों को उठाया जाए
  • सामूहिक एकजुटता के ज़रिए नफरत के खिलाफ आवाज़ बुलंद की जाए

हमला केवल मंदिर पर नहीं, संस्कृति और पहचान पर था

यह हमला सिर्फ एक हिंदू मंदिर पर नहीं था यह एक पूरी संस्कृति, आस्था और पहचान पर हमला था। और अगर आज हम एकजुट होकर इसके खिलाफ नहीं खड़े हुए, तो कल इसका दायरा और बढ़ सकता है।हमें यह याद रखना होगा कि नफरत चुप्पी से बढ़ती है, और प्रतिक्रिया से डरती है। इसलिए अब वक्त है कि हम इस मुद्दे पर खुलकर बोलें, लिखें और आगे आएं।

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