कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए भारत के चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए हैं और पारदर्शिता व जवाबदेही की मांग की है। इस पोस्ट ने भारतीय लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया पर नई बहस छेड़ दी है, जिसमें विपक्ष ने राहुल गांधी का समर्थन किया है जबकि सत्ता पक्ष ने इसे खारिज किया है।
राहुल गांधी की पोस्ट में क्या कहा गया?
राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में चुनाव आयोग को संबोधित करते हुए लिखा, “प्रिय चुनाव आयोग, आप एक संवैधानिक संस्था हैं। बिना हस्ताक्षर वाले टाल-मटोल नोट गंभीर सवालों का जवाब नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर चुनाव आयोग के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो उसे पारदर्शिता बरतनी चाहिए।
उन्होंने दो बड़ी मांगें रखीं:
- सभी राज्यों की डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक की जाए।
- महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों की शाम 5 बजे के बाद की सीसीटीवी फुटेज जारी की जाए।
राहुल का मानना है कि इस तरह के कदम से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और आयोग की साख मजबूत होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि “टालमटोल की नीति से आयोग की विश्वसनीयता पर आंच आएगी।”
विपक्ष का समर्थन
राहुल गांधी के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी चुनाव आयोग से जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग को दोहराया है। शिवसेना (उद्धव गुट), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) जैसे दलों ने उनके रुख का समर्थन किया है और कहा है कि चुनाव प्रक्रिया में कई बार संदिग्ध गतिविधियां देखी गईं हैं, खासकर महाराष्ट्र जैसे राज्यों में।
इन दलों ने मतगणना में देरी, मशीनों की सुरक्षा और वोटिंग पैटर्न को लेकर भी सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग को हर स्तर पर पारदर्शी कार्यप्रणाली अपनानी चाहिए ताकि जनता का भरोसा बना रहे।
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बीजेपी की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राहुल गांधी के आरोपों को “निराधार और चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश” बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमेशा निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से काम किया है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि विपक्ष अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहा है और बार-बार संस्थाओं पर संदेह खड़ा कर रहा है।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी का यह बयान सिर्फ राजनीतिक हताशा का नतीजा है और इसका मकसद जनता का ध्यान भटकाना है।
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