October 15, 2025

राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ आरोप: चुनाव आयोग पर हमला, क्या है सच्चाई?

राहुल गांधी का तीखा हमला

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार (18 सितंबर 2025) को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि वोटर लिस्ट में जानबूझकर हेराफेरी की जा रही है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। राहुल ने कहा, “मैं अपने संविधान की रक्षा करूंगा… मुझे अपने देश और संविधान से प्यार है।” उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ‘वोट चोरों’ को बचा रहा है, खासकर कर्नाटक में जहां हजारों वोट डिलीट किए गए। यह आरोप 2024 लोकसभा चुनावों और 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनावों से जुड़े हैं, जहां उन्होंने दावा किया कि दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वोटरों को निशाना बनाया जा रहा है। राहुल ने चुनाव आयोग से मांग की कि कर्नाटक CID को सभी सबूत सौंपे जाएं, अन्यथा यह लोकतंत्र की बुनियाद हिला देगा।

राहुल गांधी के मुख्य आरोप: सबूतों का दावा

राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण दिया, जहां 6,018 वोट काटने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि केवल 14 मिनट में 12 वोट डिलीट हो गए, जो सेंट्रलाइज्ड सॉफ्टवेयर और कर्नाटक के बाहर से फोन नंबर्स के जरिए किया गया। राहुल ने तीन मामलों—गोदाबाई, सूर्यकांत और नागराज—का हवाला दिया, जहां फर्जी लॉगिन से वोट हटाए गए। उन्होंने दावा किया कि यह कोई ‘हाइड्रोजन बम’ नहीं है, बल्कि ‘बुलेटप्रूफ’ सबूत हैं, और असली ‘हाइड्रोजन बम’ जल्द आएगा। इसके अलावा, महादेवपुरा क्षेत्र में 1 लाख से ज्यादा फर्जी वोटों का जिक्र किया, जिसमें 11,956 डुप्लिकेट वोटर, 40,009 अवैध पते, 10,452 एक ही पते पर रजिस्टर्ड वोटर और 4,132 अमान्य फोटो वाले वोटर शामिल हैं। राहुल ने कहा कि यह व्यवस्थित धांधली है, जो कांग्रेस के मजबूत इलाकों को निशाना बनाती है, और मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार इसे बचा रहे हैं। कर्नाटक CID ने 18 महीनों में 18 रिमाइंडर पत्र भेजे, लेकिन ECI ने जानकारी नहीं दी। राहुल ने चेतावनी दी कि अगर ऐसी गड़बड़ी न रुकी, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया: आरोपों को खारिज

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को ‘बेबुनियाद’ और ‘भ्रामक’ बताया। ECI ने कहा कि कोई भी वोट बिना प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का मौका दिए डिलीट नहीं किया जाता, और सभी प्रक्रियाएं नियमों के अनुसार हैं। आयोग ने सोशल मीडिया पर फैक्ट चेक जारी कर दावा किया कि राहुल ने डेटा को ‘मैनिपुलेट’ किया है। उदाहरण के लिए, शकुनी रानी के दोहरे वोटिंग के दावे को खारिज करते हुए कहा कि प्रारंभिक जांच में केवल एक बार वोट पड़ा। ECI ने कर्नाटक CEO के जरिए राहुल से दस्तावेज और शपथ-पत्र मांगा, ताकि जांच हो सके। अगर 7 दिनों में शपथ-पत्र न दिया, तो आरोप ‘अमान्य’ माने जाएंगे। आयोग ने यह भी कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गोपनीयता के आधार पर मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट देने की मांग खारिज की थी। BJP ने भी राहुल पर हमला बोला, कहते हुए कि झूठे आरोप उनकी आदत बन गई है। ECI ने महादेवपुरा के आंकड़ों को स्पष्ट किया कि 1,00,250 में से कई वैध हैं, जैसे गरीब वोटरों के साझा पते।

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क्या है वास्तविकता: हेराफेरी या राजनीतिक बयानबाजी?

यह सवाल जटिल है। राहुल गांधी के दावे डेटा-आधारित लगते हैं, लेकिन ECI उन्हें चुनौती दे रहा है। कर्नाटक में आलंद और महादेवपुरा जैसे मामलों में वोटर लिस्ट में असंगतियां संभव हैं, खासकर बड़े चुनावों में जहां करोड़ों वोटर हैं। पूर्व CEC एस. वाई. कुरैशी ने कहा कि आरोपों की जांच होनी चाहिए। हालांकि, ECI का कहना है कि कोई औपचारिक शिकायत नहीं की गई, और डेटा की व्याख्या गलत है। यह राजनीतिक बयानबाजी का रंग ले चुका है, क्योंकि 2024 चुनावों के बाद विपक्ष ECI पर सवाल उठा रहा है। लेकिन पारदर्शिता की कमी—जैसे डिजिटल लिस्ट न देना—शक पैदा करती है। स्वतंत्र सत्यापन की जरूरत है, जैसे सुप्रीम कोर्ट में याचिका। कुल मिलाकर, सबूतों की जांच से सच्चाई सामने आएगी; फिलहाल यह विवाद लोकतंत्र की मजबूती का परीक्षण है।

लोकतंत्र की रक्षा जरूरी

राहुल गांधी के आरोपों ने चुनाव प्रक्रिया पर बहस छेड़ दी है। चाहे हेराफेरी हो या बयानबाजी, पारदर्शिता सुनिश्चित करना ECI की जिम्मेदारी है। जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए स्वतंत्र जांच जरूरी है। अगर सबूत मजबूत साबित हुए, तो यह लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका होगा; अन्यथा, यह विपक्ष की रणनीति मानी जाएगी। देश को ऐसी पारदर्शिता चाहिए जहां वोट सुरक्षित हो।

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