October 15, 2025

राजनाथ सिंह का जोशीला संदेश: ‘जय जवान, जय किसान’ से मजबूत भारत, ऑपरेशन सिंदूर की जीत का जिक्र

रक्षा मंत्री का प्रेरक संवाद: 1965 युद्ध नायकों से मुलाकात

18 सितंबर 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दिग्गज सैनिकों से भावुक संवाद किया। दिल्ली के सेना मुख्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में सिंह ने वीर जवानों को सलाम करते हुए कहा, “देश की सुरक्षा केवल सीमा पर लड़े गए युद्ध से तय नहीं होती, बल्कि यह पूरे देश की एकजुटता और संकल्प से तय होती है।” यह संवाद न केवल इतिहास की याद दिलाता है, बल्कि वर्तमान चुनौतियों से जोड़ता है। 1965 का युद्ध, जब भारत ने पाकिस्तान के आक्रमण को मुंहतोड़ जवाब दिया, आज भी प्रेरणा स्रोत है। सिंह ने दिग्गजों की कहानियां सुनीं—कैसे उन्होंने हल्दीघाटी से कश्मीर तक दुश्मन को खदेड़ा। यह मुलाकात देशभक्ति की लौ जला रही, जहां 80 वर्षीय वेटरन कर्नल ने कहा, “मंत्रियों ने कभी इतना सम्मान नहीं दिया।” सिंह का यह कदम सेना के मनोबल को ऊंचा करने का प्रयास है, जो ऑपरेशन सिंदूर जैसी सफलताओं का आधार बनता है।

पड़ोसी चुनौतियां: भाग्यशाली नहीं, लेकिन मजबूत

राजनाथ सिंह ने पड़ोसी देशों के साथ भारत के जटिल रिश्तों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “भारत हमेशा पड़ोसियों के साथ रिश्तों में भाग्यशाली नहीं रहा, लेकिन हमने इसे नियति नहीं माना।” यह बयान पाकिस्तान और चीन जैसे तनावपूर्ण संबंधों की ओर इशारा करता है। ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए सिंह ने बताया कि कैसे भारतीय सेना ने रात 1:30 बजे पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दुनिया को अपनी ताकत दिखाई। CDS अनिल चौहान के अनुसार, यह अभियान नागरिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर अंजाम दिया गया, जिससे 100 से अधिक आतंकियों का सफाया हुआ। सिंह ने जोर दिया कि ऐसी कार्रवाइयां भारत की रणनीतिक गहराई दर्शाती हैं—हम आक्रमण का जवाब देते हैं, लेकिन युद्ध को लंबा नहीं खींचते। यह संदेश न केवल सेना के लिए, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए है: चुनौतियां आती रहेंगी, लेकिन एकजुटता से हम विजयी होंगे।

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पहलगाम की त्रासदी: गुस्से से निकली ताकत

सिंह ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले का जिक्र कर सभी के दिल को छू लिया। 2024 में हुए इस आतंकी कांड में निर्दोष पर्यटकों की हत्या ने देश को झकझोर दिया। उन्होंने कहा, “जब हम पहलगाम को याद करते हैं, तो दिल भारी हो जाता है और गुस्सा भी आता है। लेकिन उस घटना ने हमारे हौसले नहीं तोड़े।” बल्कि, भारत ने आतंकियों को ऐसा सबक सिखाया, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की। ऑपरेशन सिंदूर इसी का नतीजा था, जहां बहावलपुर और मुरिदके के ठिकाने तबाह हो गए। सिंह का यह बयान दर्द और संकल्प का मिश्रण है—यह दिखाता है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि सक्रिय है। पहलगाम जैसे हमलों ने ‘नो टॉलरेंस’ पॉलिसी को मजबूत किया, और सेना ने साइबर-स्पेस से लेकर सीमा तक दुश्मन को घेरा। यह याद दिलाता है कि शांति की कीमत सतर्कता है।

जीत की आदत: सामूहिक संकल्प की जीत

राजनाथ सिंह का सबसे प्रेरक कथन था, “अब जीत कोई अपवाद नहीं, बल्कि भारत की आदत बन गई है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जीत सिर्फ मोर्चे पर खड़े सैनिकों की नहीं, बल्कि पूरे देश के सामूहिक संकल्प का नतीजा है। ऑपरेशन सिंदूर में आर्मी, नेवी, एयर फोर्स और साइबर यूनिट्स का समन्वय इसका प्रमाण है। सिंह ने कहा कि किसान खेतों में मेहनत करते हैं, तो जवान सीमाओं पर खड़े—दोनों राष्ट्र की रीढ़ हैं। यह बयान ‘आत्मनिर्भर भारत’ से जुड़ता है, जहां तकनीक और हिम्मत का संगम दुश्मन को करारा जवाब देता है। वैश्विक स्तर पर भी सराहना मिली—अमेरिका ने भारत की सटीकता की तारीफ की। लेकिन सिंह ने चेतावनी दी: एकजुटता टूटेगी, तो कमजोरी आएगी। यह संदेश युवाओं के लिए है—देश सेवा सबकी जिम्मेदारी है।

शास्त्री जी का नारा: ‘जय जवान, जय किसान’ की प्रासंगिकता

1965 युद्ध के संदर्भ में सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद किया। उन्होंने बताया कि शास्त्री जी के नेतृत्व ने पूरे देश का मनोबल ऊंचा किया और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, जो आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है। यह नारा उस समय की एकजुटता का प्रतीक था, जब किसानों ने खाद्यान्नों की कमी के बावजूद सेना को मजबूत किया। सिंह ने कहा कि आज के दौर में भी यह नारा प्रासंगिक है—किसान MSP की मांग कर रहे हैं, तो जवान LoC पर सतर्क। ऑपरेशन सिंदूर में किसानों के खेतों से निकले संसाधनों ने सेना को ताकत दी। यह नारा आर्थिक और सैन्य मजबूती का संदेश देता है। आज जब जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद चुनौतियां हैं, तो ‘जय जवान, जय किसान’ को अपनाना जरूरी है—यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सेना से जोड़ता है।

आज के दौर में नारे की मजबूती: एकता का आह्वान

राजनाथ सिंह का संदेश साफ है—भारत की ताकत केवल उसकी सेना नहीं, बल्कि हम सबकी एकता और संकल्प है। आज के समय में, जब सोशल मीडिया पर विभाजन बढ़ रहा है, तो ‘जय जवान, जय किसान’ को मजबूत करना जरूरी है। यह नारा किसानों को सम्मान देता है, जो 60% आबादी का आधार हैं, और जवानों को प्रेरित करता है। हाल के किसान आंदोलनों ने दिखाया कि एकता टूटेगी, तो राष्ट्र कमजोर होगा। सिंह का बयान युवाओं को जागृत करता है—देश सेवा केवल वर्दी पहनना नहीं, बल्कि किसानों के उत्पाद खरीदना और सेना को सपोर्ट करना भी है।

गर्व और संकल्प का संदेश

राजनाथ सिंह का यह बयान देशभक्ति की नई लहर लाया है। ऑपरेशन सिंदूर और 1965 की यादें साबित करती हैं कि भारत अब मजबूत है। लेकिन असली ताकत एकता में है। आपको क्या लगता है—आज के समय में ‘जय जवान, जय किसान’ को और मजबूती से अपनाना चाहिए? क्या यह नारा आधुनिक चुनौतियों का सामना कर सकता है? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं। जय हिंद!

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