दशहरे पर आमतौर पर रावण के पुतले जलते हैं, लेकिन इस बार फिरोज़पुर का नज़ारा कुछ अलग था।स्वदेशी जागरण मंच ने इस दशहरे पर 10 फुट ऊँचा खास पुतला तैयार किया, जो दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक डोनाल्ड ट्रंप का रूप ले चुका था। इस पुतले को तैयार करने में 15 दिन लगातार दिन-रात मेहनत की गई। जब यह पुतला खड़ा हुआ, तो हर किसी की नज़र ठहर गई।
पुतले के दस सिर और ट्रंप की ‘कमज़ोरियाँ’
इस पुतले के दस सिर पर ट्रंप की नीतियों और उनके व्यवहार के बारे में संदेश लिखे गए थे।
- एक सिर पर लिखा था – मैं घमंडी हूँ
- दूसरे पर – मैं टैरिफ युद्ध छेड़ता हूँ
- कहीं लिखा – मैं नोबेल पुरस्कार का लालची हूँ
- तो कहीं – मैं नकली शांतिदूत हूँ
- कुछ सिरों पर लिखा था – मैं पाखंडी हूँ और मैं धोखेबाज़ हूँ
- इन सभी संदेशों के जरिए यह स्पष्ट किया गया कि पुतले का हर सिर ट्रंप के रवैये और उनकी नीतियों का तंज कर रहा था।
‘कलियुग का रावण’ और भीड़ की प्रतिक्रिया
लोगों ने इस पुतले को देखकर इसे ‘कलियुग का रावण’ कहा।दशहरे के इस मौके पर जब आग की लपटों में यह पुतला जला, तो मौजूद भीड़ ने जोरदार तालियां बजाईं।संदेश साफ था – चाहे अहंकार किसी का भी हो, अंत हमेशा रावण जैसा ही होता है।
आधुनिक दुनिया में रावण का रूप
फिरोज़पुर के इस अनोखे दशहरे ने यह दिखा दिया कि रावण सिर्फ पौराणिक कहानियों में ही नहीं, बल्कि आज की दुनिया में भी ज़िंदा है बस उसका रूप बदल चुका है।यह दृश्य केवल एक पुतले का जलना नहीं था, बल्कि अहंकार, सत्ता और नीतियों पर कटाक्ष का प्रतीक भी था।इस साल का दशहरा फिरोज़पुर में केवल उत्सव नहीं बल्कि एक संदेश भी लेकर आया – कि किसी भी नेता या व्यक्ति का अहंकार, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, अंततः रावण जैसी कहानी का हिस्सा बनता है।
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