October 15, 2025

सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौता ईरान की भागीदारी और खाड़ी देशों पर असर

17 सितंबर 2025 को सऊदी अरब और पाकिस्तान ने ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत किसी भी देश पर हमला दोनों देशों के खिलाफ हमला माना जाएगा। हस्ताक्षर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रियाद में किए। यह समझौता क्षेत्रीय सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

ईरान की संभावित भागीदारी

अब इस गठबंधन में ईरान की भागीदारी की चर्चा हो रही है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार और IRGC के मेजर जनरल याह्या रहीम सफवी ने इस समझौते में ईरान की भागीदारी की वकालत की। सफवी का कहना है कि ईरान, सऊदी अरब, पाकिस्तान और इराक मिलकर एक सामूहिक क्षेत्रीय रक्षा समझौते पर पहुंच सकते हैं।सफवी ने इसे एक सकारात्मक घटनाक्रम बताया और कहा कि इस कदम से अमेरिका का प्रभाव कम हो सकता है, क्योंकि अमेरिका अब अपना ध्यान एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित कर रहा है।

क्षेत्रीय राजनीतिक और सुरक्षा प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता खाड़ी देशों में सुरक्षा समीकरण को बदल सकता है। यदि ईरान इस गठबंधन में शामिल होता है, तो यह क्षेत्रीय राजनीति और सुरक्षा की दिशा को नई दिशा देगा। सामूहिक सुरक्षा समझौते से आतंकवाद और बाहरी आक्रामकता को रोकने में मदद मिल सकती है।इस समझौते के तहत सदस्य देशों के बीच सुरक्षा सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करना और सामूहिक प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी। यह कदम खाड़ी देशों में स्थिरता बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस समझौते को एक क्षेत्रीय इस्लामिक गठबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए यह संकेत है कि खाड़ी में सुरक्षा और राजनीतिक समीकरण अब नए स्वरूप में बदल सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से न केवल सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक सहयोग के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।

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