हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप पर लगे अलग-अलग आरोपों ने शेयर बाजार और निवेशकों के बीच भारी हलचल पैदा की थी। आरोप थे इनसाइडर ट्रेडिंग, स्टॉक मैनिपुलेशन और फर्जी लेन-देन। हालांकि, SEBI की हालिया जांच ने अडानी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी है। रिपोर्ट में साफ किया गया है कि आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
एडवोकेट रायन करंजावाला का बयान
अडानी ग्रुप के वकील रायन करंजावाला ने कहा कि अब अडानी ग्रुप को अपने बचाव में वकीलों की जरूरत नहीं है, क्योंकि SEBI की रिपोर्ट खुद ही पूरे मामले को स्पष्ट कर रही है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि हिंडनबर्ग ने खुद माना था कि उसने अडानी के शेयर शॉर्ट सेल किए थे, यानी उसके दावे में वास्तविकता कम थी।
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निवेशकों और बाजार पर असर
SEBI की क्लीन चिट से अडानी ग्रुप के निवेशक और शेयरहोल्डर्स को बड़ी राहत मिली है। बाजार में अडानी ग्रुप के शेयरों पर दबाव कम हुआ और निवेशकों के बीच विश्वास बहाल होने लगा। विशेषज्ञों का मानना है कि SEBI की रिपोर्ट ने स्पष्ट और पारदर्शी रूप से स्थिति को संतुलित किया।
क्या विवाद पूरी तरह खत्म हुआ?
हालांकि SEBI ने क्लीन चिट दे दी है, फिर भी कुछ विश्लेषकों का कहना है कि सार्वजनिक धारणा और सोशल मीडिया पर बनी छवि को पूरी तरह बदलने में समय लगेगा। हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्टों का प्रभाव तुरंत खत्म नहीं होता। इसलिए निवेशकों और बाजार में पूरी तरह विश्वास बहाल होने में थोड़ा समय लग सकता है।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
गौतम अडानी ने भी निवेशकों के लिए संदेश दिया कि शेयर बाजार का हिस्सा होने के नाते उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि SEBI की क्लीन चिट उनके पारदर्शी और वैधानिक तरीके से काम करने की पुष्टि करती है।

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