पीएम मोदी की त्वरित प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रविवार को केरल के तिरुवनंतपुरम से न्यूज एजेंसी से बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हालिया संवाद पर टिप्पणी की। थरूर ने कहा कि पीएम मोदी ने ट्रंप के संदेश का तुरंत जवाब दिया, जिसमें भारत और अमेरिका के बीच वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया गया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि दोनों देशों की सरकारों और राजनयिकों को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। थरूर ने ट्रंप के नरम रुख का सावधानीपूर्वक स्वागत किया, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि ट्रंप के पहले के कदमों से हुए नुकसान को आसानी से भुलाया नहीं जा सकता।
टैरिफ का प्रभाव और चिंताएँ
थरूर ने अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए 50% टैरिफ के गंभीर प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिसने भारतीय निर्यातकों को नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता को इन टैरिफ का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, और इस आर्थिक दबाव को जल्दी भुलाया नहीं जा सकता। थरूर ने कहा, “जमीनी स्तर पर असली परिणाम महसूस किए जा रहे हैं, और हमें इससे उबरना होगा। ट्रंप और उनके प्रशासन की ओर से 50% टैरिफ और अपमान को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
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ट्रंप का बदला रुख: कितना भरोसेमंद?
शुक्रवार को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भारत-अमेरिका संबंधों को “बहुत विशेष” बताया और कहा कि “चिंता की कोई बात नहीं है,” साथ ही पीएम मोदी के साथ अपनी दोस्ती की पुष्टि की। इसके जवाब में, पीएम मोदी ने ट्रंप के सकारात्मक रवैये की सराहना की और भारत-अमेरिका के बीच मजबूत और दूरगामी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। हालांकि, थरूर ने ट्रंप के चंचल स्वभाव और उनके पिछले कदमों से भारत में उत्पन्न असंतोष को देखते हुए उनके नवीनतम बयानों पर सावधानी बरतने की सलाह दी।
अमेरिकी टैरिफ से आर्थिक झटका
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लागू किया, जिसका भारतीय निर्यात पर 48 बिलियन डॉलर से अधिक का प्रभाव पड़ने का अनुमान है। पीटीआई के अनुसार, निर्यातकों ने बताया कि इन टैरिफ के कारण भारत को बांग्लादेश, थाईलैंड, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिन पर अमेरिका ने कम टैरिफ लगाए हैं। इस आर्थिक झटके ने वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंध और जटिल हो गए हैं।
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