August 28, 2025

शुभांशु शुक्ला: भारत के पहले आईएसएस अंतरिक्ष यात्री का रोमांचक सफर

अंतरिक्ष की ओर एक ऐतिहासिक कदम

लखनऊ में जन्मे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिन्हें लोग प्यार से ‘शुक्स’ कहते हैं, ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत भारत का गौरव बढ़ाया। 25 जून को अमेरिका के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से ‘ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान के जरिए शुरू हुआ यह मिशन कई बार स्थगित होने के बाद आखिरकार सफल रहा। शुक्ला ने इस मिशन को बेहद रोमांचक बताया, जिसमें उन्होंने 20 दिन अंतरिक्ष में बिताए। प्रक्षेपण की तीव्रता को याद करते हुए उन्होंने कहा, “यह इतना शक्तिशाली था कि आपकी हर हड्डी हिल जाती है। 8.5 मिनट में आप शून्य से 28,500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर पहुंच जाते हैं।” यह अनुभव भारत और दुनिया भर के लोगों के उत्साह से और खास बन गया।

कठिन प्रशिक्षण और अनूठे अनुभव

एक्सिओम-4 मिशन के लिए शुक्ला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने कठिन प्रशिक्षण लिया। इसमें कृत्रिम वातावरण में जीवित रहने की ट्रेनिंग, फोटोग्राफी सीखना और मैक्सिको के तट पर कायकिंग शामिल थी, जिसने उनकी टीम भावना को मजबूत किया। नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में रहने की बारीकियां सीखीं, जैसे खाना, सोना और यहां तक कि शौचालय का उपयोग करना। हास्य के अंदाज में शुक्ला ने बताया, “अंतरिक्ष में शौचालय जाना सबसे चुनौतीपूर्ण काम है।” यह प्रशिक्षण उनके लिए एक नए घर में रहने की तैयारी थी, जहां हर चीज के अपने नियम हैं।

अंतरिक्ष से भारत का खूबसूरत नजारा

शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारत के दृश्यों को कैमरे में कैद किया और इसे बेहद खूबसूरत बताया। उन्होंने कहा, “रात में हिंद महासागर से उत्तर की ओर भारत को देखना जीवन के सबसे खूबसूरत नजारों में से एक है।” कक्षा में रहते हुए उन्होंने दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखे, जो उनके लिए अविस्मरणीय रहा। मिशन के दौरान उन्होंने भारत के नेतृत्व में सात सूक्ष्म-गुरुत्व प्रयोग किए, जिनमें जीवन विज्ञान, कृषि और अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी शामिल थे।

यह भी पढ़ें : जोधपुर में आरएसएस की महत्वपूर्ण समन्वय बैठक: बीजेपी के लिए नए संकेत

प्रेरणा बनकर उभरे शुक्ला

भारतीय वायुसेना के सम्मानित टेस्ट पायलट शुक्ला ने सुखोई-30, मिग-29 जैसे विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरी। बचपन में राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा की कहानियां सुनने वाले शुक्ला आज खुद युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। सुब्रतो पार्क में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने स्कूली बच्चों को ऑटोग्राफ दिए और अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, “छात्रों में अंतरिक्ष और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति उत्साह देखकर बहुत अच्छा लगता है।” 10 अक्टूबर को 40 वर्ष के होने वाले शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्णिम पन्ना जोड़ता है।

Share