रुझानों में एनडीए का जलवा, महागठबंधन फिसड्डी
14 नवंबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की गिनती शुरू होते ही एनडीए खेमे में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। चुनाव आयोग के शुरुआती रुझानों के मुताबिक, एनडीए 200 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जो बहुमत के आंकड़े 122 को आसानी से पार कर चुका है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में 95 से अधिक सीटों पर आगे है, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू 84 सीटों पर मजबूत पकड़ दिखा रही है। चिराग पासवान की एलजेपी (आरवी) को 21 और जीतन राम मांझी की एचएएम को 5 सीटों पर बढ़त मिली है। वहीं, महागठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा—आरजेडी मात्र 27 सीटों पर आगे है, जबकि कांग्रेस को 3-4 सीटें ही नसीब हो रही हैं। यह रुझान 2020 के महागठबंधन के 110 सीटों के प्रदर्शन से बिल्कुल उलट हैं। एनडीए की यह कामयाबी ‘निमो वेव’ (नीतीश+मोदी) का नतीजा मानी जा रही है, जो विकास, सुशासन और कल्याण योजनाओं पर केंद्रित रही। शुरुआती दौर में एनडीए 207 सीटों तक पहुंच गया था, जो बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत का संकेत देता है। यह जीत नीतीश कुमार को रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री बनाने की राह प्रशस्त कर रही है।
राघोपुर में कांटे की टक्कर: तेजस्वी 5,000 वोटों से पीछे
बिहार की सबसे चर्चित सीट राघोपुर पर ड्रामा चरम पर है। आरजेडी के तेजस्वी प्रसाद यादव, जो पिछले 10 वर्षों से इस पारिवारिक गढ़ पर काबिज हैं, इस बार भाजपा के सतीश कुमार से करीब 5,000 वोटों से पीछे चल रहे हैं। 16वें राउंड की गिनती में सतीश कुमार को 65,411 वोट मिले, जबकि तेजस्वी के 55,706 वोट हैं। 2020 में तेजस्वी ने सतीश को 38,000 से अधिक वोटों से हराया था, लेकिन इस बार जनसूरज पार्टी के चंचल कुमार समेत अन्य उम्मीदवारों ने वोट बांट दिए। शुरुआती राउंड्स में तेजस्वी ने बढ़त ली थी, लेकिन अब मुकाबला एकतरफा होता नजर आ रहा है। यह हार महागठबंधन के चेहरा तेजस्वी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है, जो मुख्यमंत्री पद का दावेदार था। वैशाली जिले की इस सीट पर लालू-राबड़ी परिवार का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन 2025 के रुझान बदलाव की कहानी बयां कर रहे हैं।
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नेताओं की प्रतिक्रियाएं: आभार से आरोप तक
रुझानों पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई। भाजपा और जेडीयू के नेताओं ने बिहार की जनता का धन्यवाद किया। जेडीयू नेता अशोक चौधरी ने कहा, “हम एक्जिट पोल से आगे निकल जाएंगे।” भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने “2025, फिर से नीतीश” नारे को साकार बताते हुए विजय उत्सव की घोषणा की। हरियाणा मंत्री अनिल विज ने इसे विकास की जीत करार दिया और अमित शाह को “इस युग का चाणक्य” बताया। भाजपा की तमिलनाडु इकाई ने विपक्ष के ईवीएम-मतदाता सूची आरोपों को “झूठ” करार दिया। दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “नतीजों के लिए अगर किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जाए, तो वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।” पूर्व राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का हवाला देते हुए दावा किया, “महिलाओं को 10,000 रुपये बांटे गए, निर्वाचन आयोग मूक दर्शक बना रहा। यह वोट चोरी है।” उन्होंने नतीजों को निराशाजनक बताते हुए राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन किया। सीपीआई के डी. राजा ने महागठबंधन को आत्ममंथन की सलाह दी।
ऐतिहासिक शांतिपूर्ण चुनाव: कोई मौत, कोई पुनर्मतदान नहीं
बिहार चुनाव 2025 इतिहास रच गया। पहली बार मतदान के दिन किसी की मौत नहीं हुई और किसी भी क्षेत्र में पुनर्मतदान की जरूरत नहीं पड़ी। 67.13% रिकॉर्ड वोटिंग के साथ यह चार दशकों में सबसे शांतिपूर्ण चुनाव साबित हुआ। पहले के चुनावों में हिंसा आम थी—1985 में 63 मौतें और 156 बूथों पर पुनर्मतदान, 1990 में 87 मौतें, 1995 में टीएन शेषन को चार बार स्थगित करना पड़ा। 2005 में 660 बूथों पर पुनर्मतदान हुआ। लेकिन 2025 में जीरो हिंसा और जीरो पुनर्मतदान ने निर्वाचन आयोग को “मॉडल चुनाव” घोषित करने पर मजबूर कर दिया। महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी (68.76% दूसरे चरण में) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती ने इसे संभव बनाया। यह बदलाव ‘जंगल राज’ से ‘सुशासन’ की ओर बिहार की प्रगति का प्रतीक है।
आगे की राह: नीतीश की 10वीं सौगात, विपक्ष का सबक
रुझान साफ बयां कर रहे हैं कि एनडीए एक बार फिर सरकार बनाने जा रहा है, जो बिहार को नई दिशा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा मुख्यालय पहुंचकर कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। महागठबंधन को गहन विश्लेषण की जरूरत है, खासकर मुस्लिम बहुल सीटों पर एनडीए की अप्रत्याशित सफलता (16 सीटें) के बाद। जनसूरज पार्टी का डेब्यू फ्लॉप रहा। कुल मिलाकर, यह जीत विकास, शांति और एकजुटता की जीत है। बिहार की जनता ने स्पष्ट संदेश दिया—झूठे वादों पर नहीं, काम पर भरोसा। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, राष्ट्र नई सरकार के साथ आगे बढ़ेगा। सतर्कता और सुशासन ही असली कुंजी हैं।

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