September 7, 2025

गणपति बप्पा पर पत्थरबाज़ी क्या इंसानियत से बड़ा कोई धर्म है?

गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत में बेहद श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। लोग घर-घर में गणपति बप्पा की प्रतिमा लाते हैं, पूजा करते हैं और दस दिनों तक आराधना के बाद विसर्जन करते हैं। लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ जिसने हर किसी को हिला कर रख दिया। वीडियो में दिखा कि कुछ लोग छत से भगवान गणेश की मूर्ति पर पत्थर फेंक रहे हैं।

धर्म का चश्मा या इंसानियत की परख?

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। कई लोगों ने इसे हिंदू बनाम मुस्लिम रंग देने की कोशिश की। लेकिन अब तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि ये लोग किस धर्म से थे।
सवाल यह है— क्या भगवान का अपमान किसी धर्म से जोड़कर सही ठहराया जा सकता है? जवाब है— बिल्कुल नहीं।

भगवान का अपमान, इंसानियत का अपमान

जिस भगवान को हम श्रद्धा से घर लाते हैं, आरती करते हैं, उनका सम्मान करते हैं… उसी भगवान की मूर्ति पर पत्थर बरसाना न केवल धार्मिक भावनाओं का अपमान है, बल्कि इंसानियत के पतन का भी प्रतीक है।
भले ही गलती किसी भी व्यक्ति की हो, लेकिन भगवान पर पत्थर फेंकना पूरी मानवता का अपमान है।

गलत को गलत कहने की हिम्मत

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है— क्या हम सच बोलने से डरते हैं? क्या हम गलती को धर्म के चश्मे से देखते हैं? अगर हम गलत को सिर्फ इसलिए सह लें क्योंकि वह हमारे धर्म या समुदाय से जुड़ा है, तो यह और भी खतरनाक है।
गलत को गलत कहना चाहिए— चाहे वह हिंदू करे, मुस्लिम करे, या कोई और।

गणपति बप्पा सबके हैं

गणपति बप्पा किसी एक धर्म के नहीं हैं। वे बुद्धि और विघ्नहर्ता के देवता हैं, जो हर इंसान को प्रेरणा देते हैं। उनका सम्मान सिर्फ हिंदुओं का ही नहीं बल्कि हर इंसान का कर्तव्य है।

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