तेज प्रताप यादव का बड़ा ऐलान
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने एक बड़ा कदम उठाया है। परिवार और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से अलग होने के बाद, तेज प्रताप ने अपना नया मोर्चा बना लिया है और पांच छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने RJD को भी अपने मोर्चे में शामिल होने का न्योता दिया है, लेकिन साथ ही कहा कि उनके भाई तेजस्वी यादव को उनका आशीर्वाद है। इस कदम से बिहार की सियासत में हलचल मच गई है, क्योंकि तेज प्रताप का यह फैसला RJD के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, खासकर यादव-मुस्लिम समीकरण को प्रभावित करने की उनकी रणनीति के चलते।
2020 के चुनाव: RJD की करीबी जीत और हार
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में RJD ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन बहुमत से कुछ कदम दूर रह गई थी। कई सीटों पर पार्टी ने बेहद कम अंतर से जीत हासिल की, तो कहीं मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, डेहरी सीट पर RJD के फतेबहादुर सिंह ने मात्र 81 वोटों से जीत दर्ज की। कुरहनी में अनिल कुमार सहनी ने 480 वोटों के अंतर से BJP उम्मीदवार को हराया। सिमरी बख्तियारपुर में यूसुफ सलाउद्दीन ने 1474 वोटों से जीत हासिल की, और सिवान में अवध बिहारी चौधरी ने 1561 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
वहीं, कुछ सीटों पर RJD को बेहद कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा। कल्याणपुर में JD(U) के महेश्वर हजारी ने RJD उम्मीदवार को मात्र एक वोट से हराया। हिलसा में RJD के शक्ति सिंह यादव 13 वोटों से हारे, चकाई में सावित्री देवी 581 वोटों से और परबत्ता में दिगंबर प्रसाद तिवारी 1178 वोटों से हार गए। इन नतीजों से साफ है कि बिहार में वोटों का छोटा सा बंटवारा भी नतीजों को बदल सकता है।
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तेज प्रताप का कदम: RJD के लिए खतरा
तेज प्रताप यादव का नया मोर्चा RJD के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। अगर वे उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारते हैं, जहां RJD पहले से कमजोर है या मामूली अंतर से जीती थी, तो वोटों का बंटवारा तय है। इसका सीधा फायदा BJP और JD(U) के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को मिल सकता है। खासकर यादव-मुस्लिम वोट बैंक, जो RJD की ताकत रहा है, तेज प्रताप की रणनीति से प्रभावित हो सकता है। इससे तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने का सपना एक बार फिर टूट सकता है।
क्या तेज प्रताप बनाएंगे नई पहचान?
तेज प्रताप के इस कदम ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या वे अपनी नई पार्टी को बिहार की जनता के बीच पहचान दिला पाएंगे? या फिर लालू प्रसाद यादव अपने ‘बागी’ बेटे को मना लेंगे? जनता का समर्थन और तेज प्रताप के मोर्चे की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हैं। बिहार की सियासत में यह नया मोड़ 2025 के चुनाव को और रोमांचक बना सकता है।
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