बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गर्म है। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने एक बार फिर अपने बयानों से चुनावी फिज़ा में हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने कहा है कि “इस बार बिहार की जनता बदलाव के मूड में है।”
कन्हैया का दावा है कि राज्य में नई सरकार बनने जा रही है और महागठबंधन की वापसी तय है। उन्होंने नीतीश कुमार और बीजेपी पर तीखे वार करते हुए कहा कि अब जनता “डबल इंजन” के वादों से थक चुकी है।
बदलाव की हवा नहीं, अब आंधी चल रही है
कन्हैया कुमार ने अपने भाषण में कहा कि बिहार की जनता अब केवल नारों से नहीं, काम से न्याय चाहती है। उन्होंने कहा कि इस बार ‘बदलाव की हवा नहीं, बल्कि आंधी चल रही है।’ उनका कहना था कि रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य तीन ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सरकार पूरी तरह असफल रही है। युवाओं के पलायन से लेकर स्कूलों की जर्जर स्थिति तक, हर तरफ निराशा दिखाई दे रही है “लोग पूछ रहे हैं—नौकरियाँ कहाँ हैं? पलायन क्यों हो रहा है? अस्पतालों की हालत क्यों नहीं सुधर रही? जनता अब बहाने नहीं, परिवर्तन चाहती है।” — कन्हैया कुमार
नीतीश कुमार विपक्ष से नहीं, BJP से डरते हैं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि नीतीश अब विपक्ष से नहीं, बल्कि BJP से डरते हैं। उन्होंने दावा किया कि JDU को खत्म करने का काम बीजेपी ही कर रही है। कन्हैया ने यहां तक कह दिया कि अगर “गलती से” NDA चुनाव जीत भी गया, तो भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे। उनका तंज था—“नीतीश कुमार का हाल एकनाथ शिंदे जैसा होगा… जहां अपने ही साथी सत्ता से बेदखल कर देते हैं।”
जनता का मूड: रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस
बिहार की जनता जात-पात से ऊपर उठकर विकास के मुद्दों पर वोट देगी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी सबसे बड़ा संकट है। “जब युवा नौकरी की तलाश में राज्य छोड़ते हैं, तो बिहार का भविष्य भी बाहर चला जाता है।” उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है और अस्पतालों में इलाज से ज्यादा इंतज़ार मिलता है महागठबंधन की रैलियों में भी अब यही तीन मुद्दे—रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य—मुख्य एजेंडा बन चुके हैं।
NDA जीता तो भी मुख्यमंत्री नीतीश नहीं बनेंगे
राजनीतिक समीकरणों पर बड़ा बयान देते हुए कन्हैया ने कहा— “अगर NDA जीत भी गया तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। बीजेपी उन्हें किनारे कर देगी।” इस बयान के बाद बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। कई विश्लेषक इसे ‘रणनीतिक हमला’ बता रहे हैं—जहां कन्हैया, नीतीश को ‘पीड़ित’ और बीजेपी को ‘सत्ता लोभी’ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
जनता के बीच बढ़ती गूंज
कन्हैया के भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। कई युवाओं ने उनके “बदलाव की आंधी” वाले बयान को ट्रेंड कर दिया है। वहीं, बीजेपी नेताओं ने इसे “चुनावी बयानबाज़ी” करार दिया है और कहा है कि “महागठबंधन के पास सिर्फ बातें हैं, कोई ठोस योजना नहीं।” लेकिन इतना तय है कि कन्हैया कुमार ने बिहार चुनाव को एक नई बहस दे दी है—“क्या बिहार वाकई बदलाव के लिए तैयार है?
नतीजे तय करेंगे—बदलाव या दोहराव?
14 नवंबर को चुनाव परिणाम आने हैं। कन्हैया का दावा है कि “उस दिन बिहार में नई सरकार बनेगी।” लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि “डबल इंजन सरकार” का नेटवर्क अब भी मज़बूत है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि ‘बदलाव की आंधी’ नतीजों में तब्दील होगी या नहीं।
बिहार की राजनीति हमेशा से देश की दिशा तय करने वाली रही है। इस बार मुद्दे साफ हैं—रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और जवाबदेही। कन्हैया कुमार ने इन मुद्दों को केंद्र में रखकर जो आक्रामक रुख अपनाया है, उसने निश्चित रूप से NDA को सोचने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन जनता का फैसला 14 नवंबर को ही तय करेगा कि बदलाव की आंधी सच में चल रही है… या सिर्फ़ चुनावी हवा है।

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