October 14, 2025

उत्तराखंड धराली आपदा और पर्यावरण संरक्षण की ज़रूरत

उत्तराखंड के धराली गांव में मंगलवार को हुई भीषण बादल फटने और बाढ़ ने फिर से एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — आखिर क्यों हमारी नदियां और पहाड़ बार-बार विनाश का कारण बन रहे हैं? धराली में 4 लोगों की जान चली गई और 50 से अधिक लोग लापता हैं। इस त्रासदी के पीछे के कारणों को समझना अब और भी जरूरी हो गया है।

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की रिपोर्ट


वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG), जो हिमालय की भूवैज्ञानिक स्थितियों का गहन अध्ययन करता है, ने हाल ही में उत्तराखंड में आई बड़ी आपदाओं का विश्लेषण किया है। उनके शोध बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग, अवैध निर्माण, और पर्यावरणीय असंतुलन इन आपदाओं के मुख्य कारण हैं।

पांच बड़ी आपदाओं का संक्षिप्त विश्लेषण

  • 2021 चमोली आपदा: ग्लेशियर झील के फटने और भूस्खलन ने विनाश मचा दिया।
  • 2023 जोशीमठ संकट: अवैध निर्माण और छोटे-छोटे भूकंपों ने इलाके को अस्थिर किया।
  • धराली आपदा: विशेषज्ञों का मानना है कि हिमस्खलन या ग्लेशियर झील के फटने की संभावना है।
  • अन्य घटनाएं: लगातार बढ़ते तापमान ने हिमालयी ग्लेशियरों को तेजी से पिघलाया है, जिससे नदियों का जलस्तर अनियंत्रित हो रहा है।

पर्यावरणीय असंतुलन और मानव गतिविधियां
अवैध निर्माण और वनों की कटाई ने मिट्टी की पकड़ कमजोर कर दी है, जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। साथ ही, बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण ने हिमालय की पारिस्थितिकी प्रणाली को खतरे में डाल दिया है।

सरकारी प्रयास और राहत कार्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए ICU बेड और मनोचिकित्सक की व्यवस्था की है। एनडीआरएफ और सेना राहत कार्यों में जुटी हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक समाधान के लिए पर्यावरण संरक्षण और सख्त नियमों की जरूरत है।

आगे का रास्ता

  • पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना होगा।
  • अवैध निर्माण पर रोक लगानी होगी।
  • जन-जागरूकता और जल प्रबंधन के उपाय करने होंगे।
  • ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।

हमारी जिम्मेदारी
धराली जैसी त्रासदियों से बचने के लिए हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी होगी। केवल सरकार ही नहीं, हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। तभी हम अपने पहाड़ों और नदियों को विनाश का नहीं, बल्कि जीवन का स्रोत बना पाएंगे।

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