नवरात्रि में ‘हिंदू-ओनली’ गरबा: लव जिहाद रोकने के नाम पर नई चेकलिस्ट जारी, राजनीतिक विवाद तेज
नवरात्रि का त्योहार आते ही देशभर में गरबा और डांडिया की धूम शुरू हो गई है। गुजरात से महाराष्ट्र तक लाखों लोग रंग-बिरंगे परिधानों में मां दुर्गा की भक्ति में डूबकर नाच-गान कर रहे हैं। लेकिन इस उल्लास के बीच विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने गरबा आयोजनों के लिए एक विवादास्पद चेकलिस्ट जारी कर दी है, जो अब राजनीतिक बहस का केंद्र बिंदु बन चुकी है। संगठन का दावा है कि ये निर्देश गरबा को ‘पूजा का रूप’ बनाए रखने और ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए हैं। लेकिन विपक्ष इसे सामाजिक विभाजन का प्रयास बता रहा है।

VHP की सख्त गाइडलाइंस: कौन-कौन से नियम?
VHP ने स्पष्ट कहा है कि गरबा इवेंट्स में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश की अनुमति होगी। आयोजकों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रवेश द्वार पर आधार कार्ड चेक करें, माथे पर तिलक लगाएं, कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें और हिंदू देवी-देवता के समक्ष पूजा करवाएं। नागपुर में VHP विदर्भ महासचिव प्रशांत टिटरे ने कहा, “गौमूत्र (गाय का मूत्र) का छिड़काव भी प्रतिभागियों पर किया जाएगा।” यह प्रक्रिया ‘शुद्धिकरण’ के नाम पर होगी। संगठन के अनुसार, गरबा महज नृत्य नहीं, बल्कि देवी की आराधना का पवित्र रूप है। “जो लोग मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते, वे इसमें भाग न लें,” VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने जोर देकर कहा।
बजरंग दल के स्वयंसेवक भी इन पंडालों की निगरानी करेंगे। आयोजकों को यह भी हिदायत दी गई है कि पारंपरिक वेशभूषा अनिवार्य हो, गैर-शाकाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगे और संगीत में अश्लील गाने न बजें। VHP विदर्भ प्रांत संयोजक नवीन जैन ने इसे ‘सांस्कृतिक संरक्षण’ का नाम दिया, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दे रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: समर्थन और विरोध का दौर
यह चेकलिस्ट जारी होते ही राजनीतिक दलों के बीच टकराव तेज हो गया। महाराष्ट्र बीजेपी मीडिया प्रमुख नवनाथ बान ने समर्थन जताते हुए कहा, “गरबा हिंदू त्योहार है, अन्य धर्मों के लोग इसमें हस्तक्षेप न करें।” राज्य मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने आयोजकों के अधिकारों का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस अनुमति के साथ ये शर्तें वैध हैं। वहीं, कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने VHP पर निशाना साधा, “यह समाज को आग लगाने जैसा है। त्योहार सबके लिए होने चाहिए, न कि विभाजन के लिए।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मुद्दा हर साल नवरात्रि से पहले उछलता है, लेकिन इस बार आधार चेक और गौमूत्र जैसे तत्वों ने विवाद को नई ऊंचाई दे दी। विपक्षी दलों ने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ करार दिया, जबकि VHP इसे ‘हिंदू संस्कृति की रक्षा’ बता रहा है। महाराष्ट्र में गरबा आयोजकों का कहना है कि ये नियम लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा, खासकर बड़े पंडालों में जहां हजारों लोग आते हैं।
गरबा की परंपरा और बदलते परिदृश्य
गरबा गुजरात की पारंपरिक लोक नृत्य है, जो नवरात्रि (22 सितंबर से 1 अक्टूबर 2025) के दौरान चरम पर पहुंचती है। यह न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता का भी। लेकिन VHP जैसे संगठनों के दखल से यह सांस्कृतिक उत्सव धार्मिक विवाद में बदल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे निर्देश युवाओं के बीच अलगाव पैदा कर सकते हैं, जबकि आयोजक आर्थिक नुकसान से चिंतित हैं।
कुल मिलाकर, VHP की यह चेकलिस्ट नवरात्रि की खुशियों पर सियासी साया डाल रही है। क्या यह हिंदू एकता मजबूत करेगी या सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाएगी? समय ही बताएगा। यदि आप गरबा प्लान कर रहे हैं, तो स्थानीय आयोजनों की गाइडलाइंस चेक करें। सुरक्षित और आनंदमय नवरात्रि की शुभकामनाएं!
संबंधित पोस्ट
ट्रंप का दावा: टैरिफ से कमाए अरबों डॉलर और युद्ध रोके, खुद को साबित किया ‘पीसकीपर’
पवन सिंह ने तोड़ी चुप्पी: पत्नी ज्योति सिंह विवाद, जनता के प्रति भावनाओं का किया सम्मान..
बेगूसराय का पंडाल बना चर्चा का केंद्र दुर्गा पूजा में ट्रंप को महिषासुर के रूप में दिखाया