नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि उनकी कृपा से भगवान शिव ने तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। देवी सिद्धिदात्री का नाम ही उनके द्वारा दी गई सिद्धियों का प्रतीक है। इस दिन भक्त माँ के प्रति अपनी आस्था और भक्ति प्रकट करते हैं और उन्हें दूर्वा, दूध, गुड़ और ताजे फल का भोग अर्पित करते हैं।

माँ सिद्धिदात्री और अर्द्धनारीश्वर स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि शिवजी का आधा शरीर माँ सिद्धिदात्री का माना जाता है, इसीलिए उन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि माँ की कृपा से शिवजी को अमरता, शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति हुई। यही कारण है कि नवरात्रि के अंतिम दिन उनकी पूजा विशेष महत्व रखती है।
पूजा की विधि और शुभ रंग
आज के दिन पूजा में पीला रंग विशेष महत्व रखता है। पीला रंग ज्ञान, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है। भक्त इस दिन मंत्र का जाप जरूर करते हैं “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।” ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी सिद्धियाँ प्रकट होती हैं।भक्त दूर्वा, दूध, गुड़ और ताजा फल अर्पित करते हैं। यह भोग माँ को अत्यंत प्रिय माना जाता है। पूजा के दौरान ध्यान, भजन और आरती करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं।
माँ सिद्धिदात्री का ध्यान और लाभ
माँ सिद्धिदात्री का ध्यान करने से न केवल भक्त की सिद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह उन्हें संसार की असारता और मोह-माया से मुक्ति दिलाने में भी सहायक है। कहा जाता है कि माँ की कृपा से मनुष्य अमृत पद की प्राप्ति कर सकता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।भक्त इस दिन अपनी सभी इच्छाओं और लक्ष्यों की पूर्ति के लिए माँ से आशीर्वाद मांगते हैं। उनका ध्यान, भक्ति और भोग से माँ की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में शक्ति, साहस और बुद्धि प्रदान करती है।

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