कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के काफिले को रोकने के आरोप में पुलिस ने एक यूट्यूबर को गिरफ्तार किया है। यह घटना सोमवार (31 मार्च) को सामने आई, जब मन्नुथी पुलिस ने आरोपी अनीश अब्राहम को हिरासत में लिया और बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया। पुलिस ने आरोपी की कार भी जब्त कर ली है। यह घटना तब हुई जब प्रियंका गांधी मलप्पुरम जिले से कोच्चि एयरपोर्ट की ओर जा रही थीं।
कैसे हुई घटना?
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, शनिवार (29 मार्च) रात करीब साढ़े नौ बजे प्रियंका गांधी अपने निर्वाचन क्षेत्र और मलप्पुरम जिले में कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद कोच्चि हवाई अड्डे की ओर जा रही थीं। इस दौरान, आरोपी ने कथित तौर पर काफिले के हॉर्न बजाने से नाराज होकर अपनी कार काफिले के सामने रोक दी। यह घटना मन्नुथी बाईपास जंक्शन पर हुई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी।
गंभीर आरोपों में दर्ज हुआ मामला
मन्नुथी पुलिस के उप निरीक्षक के नेतृत्व में पुलिस दल ने आरोपी को काफिले को रास्ता देने के लिए कहा, लेकिन उसने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों से झगड़ा करना शुरू कर दिया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आरोपी ने जानबूझकर काफिले को रोकने की कोशिश की, जिससे लोगों की जान खतरे में पड़ सकती थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया।
आरोपी पर पुलिस ने जानबूझकर काफिले में घुसने, लोगों की जान खतरे में डालने और पुलिस के निर्देशों की अवहेलना करने के आरोप लगाए हैं। इस घटना के बाद प्रियंका गांधी की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं क्योंकि उनके काफिले को रोकने के बावजूद सुरक्षा बल स्थिति को तुरंत संभाल नहीं पाया।
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में आतंकी सफाया, कराची में हाफिज सईद के करीबी की हत्या
प्रियंका गांधी की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
यह घटना कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े करती है।
- क्यों नहीं था पर्याप्त सुरक्षा घेरा? – इतनी महत्वपूर्ण शख्सियत के काफिले को रोकने की हिम्मत कोई आम व्यक्ति कैसे कर सकता है?
- पुलिस की कार्रवाई कितनी प्रभावी थी? – जब आरोपी ने काफिले को रोका, तो पुलिस ने तुरंत उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया?
- क्या यह सुनियोजित साजिश थी? – यह घटना जानबूझकर की गई हरकत थी या सिर्फ एक गलतफहमी?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस घटना की निंदा की है और इसे सुरक्षा चूक बताया है। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी अपने ही नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
प्रियंका गांधी के काफिले को रोकने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी विभिन्न स्थानों पर उनके काफिले को रोके जाने और विरोध प्रदर्शन किए जाने की खबरें आती रही हैं। हाल के वर्षों में वीआईपी सुरक्षा को लेकर कई घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें नेताओं की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं।
क्या है इस घटना का प्रभाव?
इस घटना के बाद, कांग्रेस पार्टी और प्रशासन को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नए सिरे से विचार करना होगा। साथ ही, यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या यह घटना किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा थी या फिर केवल एक व्यक्तिगत हरकत।
संबंधित पोस्ट
मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए विशेष टीम गठित, बंगाल पुलिस की बड़ी कार्रवाई
अमेरिका में भारतीय छात्र की ट्रंप प्रशासन के खिलाफ याचिका: निर्वासन की आशंका पर उठाया कदम
कुनाल कामरा विवाद: कोर्ट का आदेश आने तक गिरफ्तारी नहीं