देश के गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जून, 2025 को तेलंगाना के निजामाबाद में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड (National Turmeric Board) का मुख्यालय उद्घाटित किया। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश के हल्दी किसानों को नई दिशा और प्रगति की राह दिखाएगा। भारत हल्दी उत्पादन में विश्व में शीर्ष स्थान पर है, लेकिन किसानों को अभी तक इसके उचित दाम और सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं। इस बोर्ड के गठन से हल्दी की खेती, प्रसंस्करण और वैश्विक विपणन में सुधार की उम्मीद जगी है।
हल्दी उत्पादन में भारत की अहमियत
भारत की हल्दी की गुणवत्ता, रंग, खुशबू और औषधीय गुणों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भारतीय हल्दी का निर्यात विश्वभर में बढ़ रहा है। इसके बावजूद किसान सही मूल्य और आधुनिक तकनीक से वंचित थे। नेशनल हल्दी बोर्ड की स्थापना से किसानों को उन्नत बीज, बेहतर खेती की तकनीक, प्रोसेसिंग यूनिट और बाजार से जोड़ने की सुविधा मिलेगी। साथ ही हल्दी उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
निजामाबाद: हल्दी की राजधानी
तेलंगाना के निजामाबाद को भारत में हल्दी की सबसे बड़ी खेती वाले इलाकों में गिना जाता है। यहाँ के किसान दशकों से हल्दी की खेती में माहिर हैं। इसलिए इस बोर्ड का मुख्यालय निजामाबाद में स्थापित करना न केवल किसानों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह क्षेत्र की पहचान को भी मजबूत करता है। उद्घाटन के दौरान अमित शाह ने कहा कि यह पहल लाखों किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगी और उनकी जीवनशैली में सुधार लाएगी।
अन्य राज्यों में हल्दी की स्थिति
हालांकि तेलंगाना को हल्दी का केंद्र माना जाता है, लेकिन उत्तर भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी हल्दी की खेती बड़ी संख्या में होती है। इस बोर्ड के माध्यम से इन राज्यों के किसान भी नई तकनीकों, बेहतर बीज और बाजार तक पहुंच के अवसरों का लाभ उठा सकेंगे। इससे पूरे देश में हल्दी उत्पादन और निर्यात दोनों में वृद्धि होगी।
किसानों के लिए क्या फायदे हैं?
- उन्नत बीज और खेती की नई तकनीकों की जानकारी
- हल्दी के प्रसंस्करण के लिए आधुनिक उपकरण और यूनिट
- अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच और निर्यात को बढ़ावा
- किसानों की आमदनी में सुधार और जीवन स्तर में वृद्धि
- कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का गठन भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति साबित हो सकता है। यह न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा, बल्कि भारत की हल्दी को विश्व स्तर पर और पहचान दिलाएगा। प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत यह कदम विशेष महत्व रखता है।
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