G7 शिखर सम्मेलन: भारत-कनाडा तनाव और मोदी की संभावित अनुपस्थिति

नई दिल्ली और ओटावा के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी G7 शिखर सम्मेलन के लिए कनाडा यात्रा की संभावना कम नजर आ रही है। यह शिखर सम्मेलन, जो 15 से 17 जून 2025 तक कनाडा में आयोजित होगा, विश्व की प्रमुख औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण मंच है। G7 में फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूनाइटेड किंगडम, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा शामिल हैं। इसके अलावा, यूरोपीय संघ (ईयू), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन भी इस मंच का हिस्सा हैं। इस बार दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने कनाडा का निमंत्रण स्वीकार किया है, लेकिन भारत की भागीदारी अभी अनिश्चित बनी हुई है।

भारत को निमंत्रण का इंतजार

सूत्रों के अनुसार, भारत को अभी तक G7 शिखर सम्मेलन के लिए कोई आधिकारिक निमंत्रण नहीं मिला है। इसके साथ ही, भारतीय पक्ष ने भी इस आयोजन में भाग लेने के प्रति अधिक उत्साह नहीं दिखाया है। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि, “ऐसे किसी उच्च-स्तरीय दौरे से पहले दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार आवश्यक है।” भारत और कनाडा के बीच हाल के महीनों में राजनयिक तनाव बढ़ा है, जिसका प्रभाव इस निर्णय पर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी और विभिन्न मुद्दों पर मतभेद इस अनिश्चितता का प्रमुख कारण हैं।

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सुरक्षा चिंताएं और राजनयिक चुनौतियां

सूत्रों ने बताया कि यदि भविष्य में प्रधानमंत्री मोदी कनाडा की यात्रा करते हैं, तो सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान करना अत्यंत आवश्यक होगा। ये चिंताएं दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को और उजागर करती हैं। भारत ने हमेशा अपनी विदेश नीति में संतुलन और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है। इस स्थिति में भी भारत उसी रुख को अपनाए हुए है। कनाडा के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच भारत का यह रुख उसकी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है, जो राष्ट्रीय हितों और गरिमा को सर्वोपरि रखता है।

विदेश मंत्रालय का आधिकारिक रुख

पिछले महीने, भारत के विदेश मंत्रालय ने दो अलग-अलग अवसरों पर स्पष्ट किया था कि, “G7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं है।” यह बयान भारत और कनाडा के बीच मौजूदा तनाव को और रेखांकित करता है। दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के बिना इस तरह के उच्च-स्तरीय दौरे की संभावना कम ही है। भारत की अनुपस्थिति G7 जैसे महत्वपूर्ण मंच पर वैश्विक चर्चाओं में उसकी भूमिका को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह भारत की स्वतंत्र और सशक्त विदेश नीति का भी प्रतीक है।

आगे की राह

G7 शिखर सम्मेलन वैश्विक आर्थिक और सामरिक मुद्दों पर चर्चा का एक महत्वपूर्ण मंच है। भारत, जो पहले भी इस मंच पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा चुका है, इस बार अपनी भागीदारी को लेकर सतर्क रुखadopt कर रहा है। भारत और कनाडा के बीच संबंधों में सुधार होने पर ही इस तरह की यात्रा संभव हो सकती है। तब तक, भारत अपनी कूटनीतिक प्राथमिकताओं और राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेना जारी रखेगा।

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