नोएडा, उत्तर प्रदेश – नोएडा के सेक्टर-53 में एक दर्दनाक लेकिन इंसानियत से भरी घटना देखने को मिली, जब एक 7 साल की मासूम बच्ची अंशिका खेलते-खेलते पार्क की बेंच में फंस गई। बच्ची की उंगलियां बेंच के मेटल छेदों में इस कदर फंस गई थीं कि दर्द के मारे वह तड़पने लगी। लेकिन दमकल विभाग की टीम ने 6 घंटे की लगातार मशक्कत के बाद उस मासूम को सुरक्षित बाहर निकाल कर एक मिसाल कायम कर दी।
खेलते समय फंसी उंगलियां, बच्ची की चीख से मचा हड़कंप
देर शाम को अंशिका अपनी दो बड़ी बहनों के साथ सेक्टर-53 के सेंट्रल पार्क में खेलने गई थी। खेल-खेल में उसने पार्क में लगी लोहे की बेंच पर बैठते हुए अपनी दोनों उंगलियां बेंच के गोल छेदों में डाल दीं। थोड़ी देर तक तो सब ठीक रहा, लेकिन जब उंगलियां बाहर नहीं निकलीं तो अंशिका को दर्द महसूस होने लगा। जैसे-जैसे खून का संचार रुकता गया, उंगलियों में सूजन और दर्द बढ़ता गया।
स्थानीय लोगों ने दिखाई सतर्कता, तुरंत दी मदद की सूचना
बच्ची के रोने और कराहने की आवाज सुनकर पार्क में मौजूद लोग वहां पहुंचे और स्थिति को समझने के बाद फायर ब्रिगेड और पुलिस को तुरंत सूचना दी गई। कुछ ही देर में दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया।
दमकल विभाग का अनुकरणीय कार्य, जारी रहा 6 घंटे का रेस्क्यू
गौतमबुद्ध नगर के चीफ फायर ऑफिसर प्रदीप कुमार के अनुसार, बच्ची की उंगलियों को बेंच से निकालना आसान नहीं था। पहले मेटल सीट को चारों तरफ से काटा गया और बच्ची को उसी हालत में अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों द्वारा किसी सर्जिकल हस्तक्षेप से इनकार करने के बाद, दमकल विभाग की टीम ने रेस्क्यू को फिर से शुरू किया।
बाहर से आयरन वर्कर को बुलाया गया और दमकल टीम के विशेष टूल्स की मदद से बेंच के मेटल को सावधानीपूर्वक काटा गया। लगभग 6 घंटे की मेहनत और सूझबूझ के बाद बच्ची की उंगलियों को बिना किसी गंभीर चोट के सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
मां की भावुक प्रतिक्रिया, दमकल कर्मियों को बताया फरिश्ता
बच्ची की मां रेनू ने कहा, “जब मेरी बच्ची दर्द से तड़प रही थी, तब फायर ब्रिगेड के लोग फरिश्ते बनकर आए। उन्होंने जिस धैर्य और इंसानियत के साथ मेरी बेटी की मदद की, उसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती।”
स्थानीय आरडब्ल्यूए और पुलिस का भी सहयोग
रेस्क्यू के दौरान स्थानीय आरडब्ल्यूए पदाधिकारी और पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे, जिन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने और टीम को जरूरी सहायता पहुंचाने में सहयोग किया।
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