भारत की वैश्विक उपलब्धि: ECOSOC सदस्यता और अंबेडकर की विरासत

भारत ने वैश्विक मंच पर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने घोषणा की कि भारत को 2026-28 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) के लिए चुना गया है। ECOSOC, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक प्रमुख अंग है, जो आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास को बढ़ावा देने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह मंच नए विचारों को प्रोत्साहित करता है, वैश्विक सहमति बनाता है और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समन्वय करता है। जयशंकर ने सदस्य देशों के भारी समर्थन और भारत पर भरोसे के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन की कड़ी मेहनत की भी सराहना की।

ECOSOC की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत की गई थी। यह वैश्विक सम्मेलनों और शिखर सम्मेलनों के परिणामों को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। भारत इस मंच के जरिए सतत विकास के तीनों आयामों—आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय—को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह उपलब्धि भारत की वैश्विक नेतृत्व और सहयोग की क्षमता को दर्शाती है।

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डॉ. बी.आर. अंबेडकर की विरासत का सम्मान

इससे पहले, अप्रैल 2025 में, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने न्यूयॉर्क में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 135वीं जयंती पर एक विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किया। इस आयोजन में वैश्विक नेताओं ने भाग लिया और भारत के संविधान निर्माता के योगदान को याद किया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा, “डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 135वीं जयंती के उपलक्ष्य में इस स्मारक कार्यक्रम में आपका स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। डॉ. अंबेडकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी व्यक्ति थे और हमारे संविधान के निर्माता थे।”

कार्यक्रम का विषय “संयुक्त राष्ट्र और उसके बाहर डॉ. अंबेडकर के दृष्टिकोण की शाश्वत अपील” था, जो उनके विचारों की वैश्विक प्रासंगिकता को रेखांकित करता है। हरीश ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 80वें वर्ष में यह आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। भारत, ECOSOC के माध्यम से, सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और समानता के लिए अंबेडकर के सिद्धांतों को और मजबूत करेगा। यह उपलब्धि भारत की वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका और प्रभाव को दर्शाती है

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