भारत ने 6-7 मई की रात को आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। इस मिशन में भारतीय सुरक्षाबलों ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 बड़े आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। यह ऑपरेशन 22 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में किया गया था। लेकिन अब खबर आ रही है कि पाकिस्तान उन नष्ट किए गए ठिकानों को फिर से खड़ा करने में जुट गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना, ISI और सरकार की मदद से पीओके और एलओसी के नजदीक के जंगलों में आतंकी लॉन्चपैड का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। ये ठिकाने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और TRF जैसे संगठनों के थे, जो ऑपरेशन सिंदूर में तबाह हो गए थे।
आधुनिक तकनीक से लैस हो रहे नए आतंकी कैंप
रिपोर्ट के मुताबिक, अब पाकिस्तान इन ठिकानों को पहले से ज्यादा हाईटेक तकनीक से तैयार कर रहा है। इनमें थर्मल सेंसर, कम फ्रीक्वेंसी रडार और ड्रोन रोधी उपकरण लगाए जा रहे हैं ताकि भारत की सैटेलाइट और एयरस्ट्राइक से बचा जा सके। इतना ही नहीं, बड़े ट्रेनिंग कैंपों को अब 200 से कम आतंकियों वाले छोटे हिस्सों में बांटने की योजना बनाई गई है।
सूत्रों का कहना है कि बहावलपुर में ISI और आतंकी संगठनों के कमांडरों के बीच हुई बैठक में इस योजना पर चर्चा हुई। बहावलपुर, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का गढ़ माना जाता है और भारत में कई बड़े हमलों के पीछे इसी का हाथ रहा है, जिनमें 2001 का संसद हमला और 2019 का पुलवामा हमला शामिल हैं।
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वर्ल्ड बैंक और ADB की फंडिंग का दुरुपयोग
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) से मिलने वाली आर्थिक सहायता का इस्तेमाल भी इन आतंकी कैंपों के पुनर्निर्माण में कर रहा है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, लूणी, टीपू पोस्ट, उमरानवाली, चापरार फॉरवर्ड, जांगलोरा जैसे कई क्षेत्रों में फिर से आतंकी ठिकानों का निर्माण तेज़ी से हो रहा है।
किन क्षेत्रों में फिर बन रहे कैंप?
नए ठिकानों का निर्माण खासतौर पर उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों से घिरे हैं, जैसे –
- केल
- सरदी
- दुधनियाल
- अथमुकाम
- लिपा
- कोटली
- काहुटा
- मंढार
- जानकोट
इन क्षेत्रों तक पहुंच पाना मुश्किल है, जिससे भारतीय निगरानी तंत्र को चुनौती मिल रही है।
भारत को क्यों रहना होगा सतर्क?
पाकिस्तान की यह नई चाल दुनिया को दिखाती है कि क्यों उसे आतंकवाद का गढ़ कहा जाता है। एक तरफ वह वैश्विक मंचों पर शांति की बात करता है और दूसरी तरफ ISI के जरिए आतंकी संगठनों को संगठित और पुनर्जीवित करने में लगा रहता है।
भारत को इस खतरे के प्रति सजग और सक्रिय रहना होगा। ऐसे लॉन्चपैड्स का पुनर्निर्माण अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और इसका जवाब सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर दिया जाना जरूरी है।
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