August 29, 2025

मिग-21: भारतीय वायुसेना का शौर्य, बलिदान और गौरव की विरासत

भारतीय वायुसेना का इतिहास बहादुरी, पराक्रम और अदम्य साहस से भरा हुआ है। इस इतिहास का सबसे चमकता अध्याय रहा है – मिग-21। 60 सालों की सेवा, अनगिनत मिशन और असंख्य जीत की कहानियों के बाद अब मिग-21 को औपचारिक रूप से विदाई दे दी गई है। यह वही लड़ाकू विमान है जिसने आसमान में गरज कर दुश्मनों को हिला दिया और भारत की सुरक्षा का पर्याय बन गया।

इतिहास और गौरवशाली उपलब्धियां

1960 के दशक में सोवियत संघ से आए इस फाइटर जेट ने भारतीय वायुसेना को नई ताकत दी। 1971 के भारत-पाक युद्ध में इसने दुश्मनों को धूल चटाई। कारगिल युद्ध के दौरान भी मिग-21 ने साहसिक अभियानों को अंजाम दिया। नाटो ने इसे “फिशबेड” कहा, जबकि दुनिया इसे “फ्लाइंग कॉफिन” कहने से नहीं चूकी। इसके बावजूद, भारत ने इसे अपने साहस और शौर्य का प्रतीक माना।

बलिदान और चुनौतियां

मिग-21 का सफर हमेशा आसान नहीं रहा। पिछले कुछ दशकों में इसके 400 से अधिक हादसे हुए और 200 से ज्यादा पायलटों ने अपनी जान गंवाई। इन बलिदानों ने भारतीय वायुसेना को और मजबूत बनाया। हर दुर्घटना ने सुरक्षा और तकनीकी सुधार की दिशा में कदम बढ़ाने की प्रेरणा दी। फिर भी, इस विमान को कभी सिर्फ एक मशीन नहीं समझा गया – यह पायलटों की जान, जज़्बा और हिम्मत का हिस्सा था।

महिला शक्ति और अंतिम उड़ान

विदाई के इस ऐतिहासिक पल को खास बनाया स्क्वाड्रन लीडर प्रिया ने, जिन्होंने मिग-21 की अंतिम उड़ान का नेतृत्व किया। वायुसेना प्रमुख ने खुद ‘पैंथर्स स्क्वाड्रन’ का दौरा किया और इस विदाई को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया। यह न केवल एक युग का अंत था, बल्कि महिला शक्ति के नए दौर की शुरुआत का प्रतीक भी बना।

मिग-21 की विरासत

आज जब मिग-21 ने रनवे को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है, इसकी गूंज एयरबेस तक सीमित नहीं रहेगी। यह अब संग्रहालयों, स्मृतियों और करोड़ों भारतीयों के दिलों में जिंदा रहेगा। सोवियत इस्पात से जन्मा यह योद्धा भारतीय वीरता की धड़कन बन चुका है। मिग-21 ने सिर्फ उड़ान नहीं भरी, उसने लड़ाई भी लड़ी – और हर बार विजयी योद्धा की तरह लड़ा।

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