October 13, 2025

पसनी पोर्ट प्रस्ताव पाकिस्तान की चाल, अमेरिका और भारत के लिए नई भू-राजनीतिक चुनौती

अरब सागर के किनारे एक नई भू-राजनीतिक खेल की शुरुआत हो चुकी है। पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को बलूचिस्तान के पसनी में 1.2 अरब डॉलर का नया गहरे समुद्र वाला बंदरगाह बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव सिर्फ एक आर्थिक सौदा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, जो अमेरिका को पाकिस्तान के खनिज संसाधनों तक पहुंच दिलाने और अरब सागर से मध्य एशिया तक अमेरिकी पकड़ मजबूत करने का काम कर सकता है।

भारत के लिए महत्वपूर्ण चुनौती

यह खबर भारत के लिए बेहद अहम है। पसनी बंदरगाह ईरान के चाबहार पोर्ट के बेहद नजदीक है, जिसे भारत ने 10 साल के लिए लीज पर लिया है। चाबहार पोर्ट के माध्यम से भारत, पाकिस्तान को बायपास करके अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधे पहुंच बना सकता है। यह भारत की ट्रेड और स्ट्रेटेजिक ताकत को बढ़ाने का एक मास्टर प्लान है।लेकिन अगर पाकिस्तान ट्रम्प प्रशासन को पसनी पोर्ट सौंप देता है, तो यह भारत के चाबहार प्रोजेक्ट के लिए गंभीर भू-राजनीतिक चुनौती बन सकता है। भारत को इस नए समीकरण के मद्देनजर अपनी रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता होगी।

पाकिस्तान की रणनीति और उद्देश्य

पसनी पोर्ट का प्रस्ताव सिर्फ आर्थिक सौदा नहीं है। पाकिस्तान का उद्देश्य स्पष्ट है—चीन के प्रभाव वाले ग्वादर पोर्ट के पास अमेरिका को लाकर अपनी पोजिशन मजबूत करना। इसके लिए पाकिस्तान ने अमेरिका को अपने तेल, गैस और खनिज संपदा तक पहुंच का लालच भी दिया है। पाकिस्तान का दावा है कि पसनी पोर्ट का उपयोग केवल सिविलियन कार्यों के लिए होगा, लेकिन पिछले अनुभव बताते हैं कि ऐसे सौदों के पीछे हमेशा बड़ा रणनीतिक खेल छुपा होता है।

चाबहार और पसनी: रणनीतिक तुलना

चाबहार पोर्ट भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधे पहुंच दिलाता है, जबकि पसनी पोर्ट अमेरिका की भागीदारी से पाकिस्तान को भू-राजनीतिक बढ़त दे सकता है। यदि अमेरिका पसनी पोर्ट में शामिल होता है, तो यह भारत की रणनीति के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है। भारत को इस पर नज़र रखनी होगी और अपनी भू-राजनीतिक चालों को और मजबूत करना होगा।

अगली चाल कौन खेलेगा?

इस भू-राजनीतिक शतरंज में अब सवाल यह है कि भारत अपनी अगली चाल कैसे खेलेगा। क्या भारत अपनी चाबहार परियोजना को और मजबूत करके इस चुनौती का सामना करेगा? या पाकिस्तान और अमेरिका का यह गठजोड़ भारत के लिए मुश्किलें पैदा करेगा?पसनी पोर्ट प्रस्ताव सिर्फ एक बंदरगाह निर्माण का मामला नहीं है। यह अमेरिका, पाकिस्तान और भारत के बीच चल रही भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। आने वाले समय में इस क्षेत्र की स्थिति और रणनीतिक गतिवधियों पर नजर रखना बेहद महत्वपूर्ण होगा।

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