September 9, 2025

अहान पांडे की सफलता: स्टार किड्स के लिए सबक

हाल के दिनों में बॉलिवुड में डेब्यू करने वाले कई स्टार किड्स को दर्शकों की कड़ी आलोचना और ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। जुनैद खान, इब्राहिम अली खान, खुशी कपूर और शनाया कपूर जैसे सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं और उन्हें ‘नेपो किड्स’ का टैग झेलना पड़ा। लेकिन इसी बीच, चंकी पांडे के भतीजे और अनन्या पांडे के कजिन अहान पांडे ने अपनी डेब्यू फिल्म ‘सैयारा’ से सभी को चौंका दिया। 400 करोड़ से ज्यादा की कमाई करने वाली इस फिल्म ने न केवल दर्शकों का दिल जीता, बल्कि अहान को जेन Z का चहेता बना दिया। आखिर, अहान की कौन सी खूबियां उन्हें बाकी स्टार किड्स से अलग करती हैं? आइए, इसकी पड़ताल करते हैं।

कड़ी मेहनत और समर्पण का नतीजा

अहान पांडे की सफलता के पीछे उनकी लगन और मेहनत है। उन्होंने अभिनय में कदम रखने से पहले फाइन आर्ट्स, सिनेमैटिक आर्ट्स और फिल्म प्रॉडक्शन की पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने 2016 में ‘रॉक ऑन 2’ और ‘फ्रीकी अली’ जैसी फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर अनुभव लिया। निर्माता आदित्य चोपड़ा ने उन्हें ‘सैयारा’ में मौका देने से पहले ‘मर्दानी 2’ और ‘द रेलवे मैन’ में ऑफ-स्क्रीन काम करने का अवसर दिया। मोहित सूरी जैसे अनुभवी निर्देशक के मार्गदर्शन में अहान ने अपनी अभिनय क्षमता को निखारा और दर्शकों को प्रभावित किया। दूसरी ओर, इब्राहिम अली खान, खुशी कपूर, शनाया कपूर और राशा थडानी जैसे स्टार किड्स अपनी पहली फिल्मों में अभिनय के मामले में कमजोर दिखे, जिसके चलते उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी।

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खामोशी से स्क्रीन पर छाए

अहान ने अपनी फिल्म के प्रमोशन में ओवर-एक्सपोजर से बचकर एक अनोखा रास्ता चुना। जहां अन्य नए सितारे ट्रेलर लॉन्च, इवेंट्स, इंटरव्यूज और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, वहीं अहान और उनकी को-स्टार अनीत पड्डा ने खामोशी बरती। कोई ग्रैंड लॉन्च, कोई पब्लिक इवेंट, और न ही पैपराजी स्पॉटिंग—वे केवल अपनी फिल्म के गानों को प्रमोट करते दिखे। उनके परिवार ने भी ज्यादा शोर-शराबा नहीं किया। इसके विपरीत, शनाया कपूर के ट्रेलर लॉन्च पर उनके माता-पिता स्टेज पर थे, आमिर खान ने जुनैद की फिल्म को हर जगह प्रमोट किया, और रवीना टंडन बेटी राशा की फिल्म के लिए बिग बॉस तक पहुंचीं। फिल्म ट्रेड एक्सपर्ट अतुल मोहन कहते हैं कि ओवर-एक्सपोजर नए सितारों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। अहान की खामोशी ने दर्शकों में उनके लिए उत्सुकता बनाए रखी।

टैलंट ही बनाएगा पहचान

अतुल मोहन के अनुसार, नेपोटिज्म की बहस तब शुरू होती है, जब बिना टैलंट के स्टार किड्स को बार-बार बड़े बैनर लॉन्च करते हैं। अगर अभिनेता में प्रतिभा है, तो दर्शक उसे स्वीकार करते हैं। अहान ने ‘सैयारा’ में शानदार अभिनय किया, जिसके चलते उन्हें सराहना मिली। उदाहरण के लिए, जुनैद खान को ‘महाराज’ में अच्छे अभिनय के लिए तारीफ मिली, लेकिन ‘लवयापा’ में कमजोर प्रदर्शन के लिए ट्रोलिंग। दर्शकों को यह भी शिकायत है कि स्टार किड्स को बिना अपनी क्षमता साबित किए अगली फिल्में मिल जाती हैं। जैसे, खुशी कपूर ने कमजोर अभिनय के बावजूद तीन बड़े बैनर की फिल्में कीं, और राशा थडानी की पहली फिल्म के बाद भी अगली फिल्म की घोषणा हो चुकी है। अहान की सफलता साबित करती है कि टैलंट और मेहनत के दम पर स्टार किड्स ट्रोलिंग से बच सकते हैं और दर्शकों का प्यार पा सकते हैं।

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