आज लोकसभा में वक़्फ़ (संशोधन) बिल पेश होते ही सियासी बवाल मच गया। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद अखिलेश यादव ने इस बिल को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल की आड़ में महाकुंभ में मारे गए और लापता हुए श्रद्धालुओं की वास्तविक संख्या को छुपाना चाहती है।
विपक्ष ने सरकार पर लगाया असफलताओं को छुपाने का आरोप
अखिलेश यादव ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कहा कि बीजेपी सरकार हर बार नए बिलों के जरिए अपनी नाकामियों को छुपाने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर सरकार का अचानक से सक्रिय होना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार आखिर क्यों महाकुंभ में लापता हुए और मारे गए हिंदू श्रद्धालुओं की सूची सार्वजनिक नहीं कर रही है? उन्होंने कहा कि यह वक़्फ़ बिल सिर्फ एक ‘डाइवर्जन टैक्टिक’ (ध्यान भटकाने की रणनीति) है, ताकि जनता असली मुद्दों से दूर रहे।
महाकुंभ में लापता हुए श्रद्धालुओं की सूची कहाँ है?
अखिलेश यादव ने सरकार से सीधा सवाल किया कि आखिर उन 1000 हिंदुओं की सूची कहाँ है, जो महाकुंभ में लापता हो गए थे? उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर पारदर्शिता लाने की मांग की।
उन्होंने कहा, “अगर सरकार वाकई में पारदर्शिता चाहती है, तो पहले महाकुंभ में मारे गए और लापता हुए श्रद्धालुओं की सच्चाई जनता के सामने रखे। सरकार के पास हर व्यक्ति का डेटा मौजूद होता है, लेकिन इस मामले में वह चुप्पी साधे हुए है।”
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वक़्फ़ संपत्तियों पर रिकॉर्ड तैयार करने का असली मकसद क्या?
अखिलेश यादव ने दावा किया कि सरकार मुस्लिम समुदाय की ज़मीनों का रिकॉर्ड तैयार करने की आड़ में अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि वक़्फ़ संपत्तियां कोई नया मुद्दा नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से इस पर अचानक से कानून लाने की कोशिश की जा रही है, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार किसी और मकसद से यह कदम उठा रही है।
उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि सरकार को पारदर्शिता की इतनी चिंता है, तो उसे महाकुंभ में हुई मौतों की वास्तविक संख्या को भी सार्वजनिक करना चाहिए।
चीन द्वारा भारतीय भूमि कब्ज़ाने पर सरकार क्यों चुप?
अखिलेश यादव ने सरकार से यह भी सवाल किया कि जब चीन भारतीय सीमाओं पर कब्ज़ा कर रहा है, तो सरकार इस पर चुप क्यों है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर भी जवाब देना चाहिए।
उन्होंने कहा, “बीजेपी सरकार को देश की असल समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। चीन हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहा है और सरकार इस पर मौन है। लेकिन जब वक़्फ़ संपत्तियों की बात आती है, तो सरकार अचानक से बहुत सतर्क हो जाती है। आखिर यह दोहरा रवैया क्यों?”
क्या वक़्फ़ बिल महज़ एक राजनीतिक चाल है?
विपक्ष का आरोप है कि यह बिल लाकर सरकार जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है। विपक्ष का मानना है कि देश में बेरोज़गारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और सीमा सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे हैं, लेकिन सरकार इन पर चर्चा करने के बजाय वक़्फ़ संपत्तियों का मुद्दा उछाल रही है।
अखिलेश यादव ने कहा कि “जब देश में इतनी सारी समस्याएँ हैं, तो फिर सरकार का सारा ध्यान केवल वक़्फ़ संपत्तियों पर क्यों केंद्रित है? क्या यह जनता को गुमराह करने की रणनीति नहीं है?”
सरकार का पक्ष क्या है?
सरकार का कहना है कि यह बिल वक़्फ़ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है। सरकार के मुताबिक, देशभर में लाखों वक़्फ़ संपत्तियाँ हैं, लेकिन उनमें से कई का सही उपयोग नहीं हो रहा है।
बीजेपी नेताओं का तर्क है कि यह बिल सिर्फ प्रशासनिक सुधार के लिए है और इसका किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई दुर्भावनापूर्ण मकसद नहीं है।
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