राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के लिए चलाई जा रही राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) में लगभग 2,276 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। यह घोटाला प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
क्या है RGHS योजना?
RGHS योजना राजस्थान सरकार द्वारा राज्य के मौजूदा और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण और कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान करना था। इसके तहत सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में इलाज, टेस्ट और दवाओं की सुविधा मुफ्त या रियायती दर पर उपलब्ध कराई जाती है।
घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
राजस्थान सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार:
- वर्ष 2021-22 में दवाओं पर खर्च: ₹289 करोड़
- वर्ष 2024-25 में अनुमानित खर्च: ₹2,500 करोड़+
यानी, तीन वर्षों में खर्च में 8 गुना से भी ज्यादा की वृद्धि हुई है। यह असामान्य बढ़ोतरी संदेह के घेरे में आ गई है। कई स्वास्थ्य संस्थानों और अधिकारियों पर बिल बढ़ाकर पेश करने, फर्जी मरीजों के नाम पर इलाज दिखाने और गैर-मौजूद दवाओं के बिल पास करवाने के आरोप लग रहे हैं।
किसने उठाई आवाज?
राज्य के पूर्व चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. राकेश गुप्ता ने इस पूरे मामले पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि “घोटाले की जांच चल रही है और कई दस्तावेजों की जांच की जा रही है।” वहीं, मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि यदि किसी भी प्रकार की शिकायत मिलती है तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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आखिर इतनी बड़ी अनियमितता कैसे हुई?
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में कई स्तरों पर अनियमितता हुई है:
- निजी अस्पतालों द्वारा फर्जी बिलिंग
- दवाओं की कीमतों में बिना मंजूरी भारी वृद्धि
- जांचों के नाम पर अनावश्यक खर्चे
- सिस्टम में मॉनिटरिंग और पारदर्शिता की कमी
कर्मचारियों में नाराजगी
सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि योजना का फायदा उन्हें कम और निजी अस्पतालों और दलालों को ज्यादा मिला। कर्मचारियों को कई बार अस्पतालों से यह कहकर लौटा दिया जाता है कि “फंड नहीं है” या “RGHS लागू नहीं है”, जबकि रिकॉर्ड में उनका इलाज दिखाया गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी दलों ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा नेताओं ने मांग की है कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। उनका आरोप है कि “स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से भ्रष्टाचार व्याप्त है और यह घोटाला उसी की परिणति है।”
जनता और कर्मचारियों की मांग
- पारदर्शी और निष्पक्ष जांच
- दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई
- RGHS में रीयल टाइम ट्रैकिंग सिस्टम लागू हो
- मरीजों की शिकायतों के लिए स्वतंत्र हेल्पलाइन
सरकार की अगली चाल क्या होगी?
स्वास्थ्य विभाग पर अब जनता और मीडिया दोनों की नजरें हैं। यदि सरकार जल्द सख्त कदम नहीं उठाती, तो यह मामला आने वाले समय में और बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
राजस्थान के RGHS घोटाले ने यह दिखा दिया है कि भले ही योजनाएं जनहित के लिए बनाई जाएं, यदि उनमें पारदर्शिता और मॉनिटरिंग न हो, तो वे भ्रष्टाचार का शिकार बन सकती हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस मामले में ईमानदारी से कार्रवाई करती है या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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