बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। इस बार बहस किसी बयान को लेकर नहीं, बल्कि एक तस्वीर को लेकर हो रही है एक जीप में राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के साथ बैठे तेजस्वी यादव लेकिन ड्राइविंग सीट पर खुद तेजस्वी। तस्वीर ने सोशल मीडिया पर आग लगा दी है और राजनीतिक विश्लेषणों को हवा।
वोटर अधिकार रैली’ से विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन
इतिहास की धरती सासाराम इस बार राजनीति की नई पटकथा लिखते हुए नजर आई। यहां ‘वोटर अधिकार रैली’ का आयोजन किया गया जिसमें कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई और वीआईपी जैसी पार्टियों के बड़े नेता एक मंच पर नजर आए। राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खरगे, भूपेश बघेल, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी – सभी ने जनसभा को संबोधित किया और लोकतंत्र, संविधान, और जनता के अधिकारों की रक्षा की बात कही।
तेजस्वी की ड्राइविंग सीट वाली तस्वीर ने मचाई हलचल
इस रैली की सबसे चर्चा में रही तस्वीर थी एक खुली जीप, जिसमें राहुल गांधी, मुकेश सहनी और अन्य विपक्षी नेता बैठे हैं, लेकिन ड्राइविंग सीट पर हैं तेजस्वी यादव।राजनीतिक गलियारों में इस तस्वीर को प्रतीकात्मक नेतृत्व की तरह देखा जा रहा है।
कहा जा रहा है यह संकेत देता है कि आने वाले चुनावों में विपक्षी गठबंधन में युवा चेहरों को ज़्यादा महत्व मिल सकता है।
क्या बोले नेता?
रैली में सभी नेताओं ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला:
- राहुल गांधी: “लोकतंत्र खतरे में है, अब आवाज़ उठानी ही होगी!”
- तेजस्वी यादव: “बिहार अब अपने हक के लिए जाग चुका है!”
- मल्लिकार्जुन खरगे: “यह लड़ाई सिर्फ बिहार की नहीं, पूरे देश की है!”
क्या विपक्षी एकता चलेगी लंबा?
इस रैली ने एक बात तो साफ कर दी है विपक्ष अब सड़क पर उतरकर जनता से सीधा संवाद करना चाहता है।
लेकिन सवाल ये है कि क्या यह एकता सिर्फ मंच तक सीमित रहेगी या जमीन पर वोटों में बदलेगी?2025 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, यह रैली एक सियासी ट्रेलर मानी जा रही है।
जनता तय करेगी असली ड्राइविंग सीट कौन संभालेगा
बिहार की जनता हमेशा से राजनीतिक रूप से जागरूक रही है। अब फैसला उन्हीं के हाथ में है कि सियासी जीप की असली ड्राइविंग सीट पर कौन बैठेगा।क्या राहुल-तेजस्वी की जोड़ी कोई नई लहर ला पाएगी या ये सिर्फ एक राजनीतिक शो बनकर रह जाएगी?
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