शुक्रवार को पक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के कई घटक दलों के सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ संसद भवन परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी नेताओं ने महात्मा गांधी की प्रतिमा से संसद भवन के ‘मकर द्वार’ तक मार्च निकाला, जिसमें कांग्रेस नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और अन्य दलों के सांसद शामिल हुए। इस प्रदर्शन के दौरान विपक्षी सांसदों ने एक बड़ा बैनर प्रदर्शित किया, जिस पर ‘एसआईआर- लोकतंत्र पर वार’ लिखा था। साथ ही, उन्होंने ‘एसआईआर वापस लो’ और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाकर अपनी मांग को बुलंद किया।
कांग्रेस अध्यक्ष के गंभीर आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम गरीबों के मताधिकार को छीनने और केवल कुछ अभिजात्य लोगों को वोट देने का अधिकार देने की साजिश है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र की मोदी सरकार संविधान के दायरे में काम नहीं कर रही है, जिससे लोकतंत्र को गंभीर नुकसान हो रहा है। खरगे ने मांग की कि इस मुद्दे पर संसद में तत्काल चर्चा होनी चाहिए ताकि जनता के हितों की रक्षा की जा सके। विपक्षी सांसदों का कहना है कि एसआईआर की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
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लोकसभा में हंगामा, कार्यवाही स्थगित
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सांसदों ने लोकसभा में जमकर हंगामा किया। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के मात्र पांच मिनट बाद ही अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी गई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की शुरुआत में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की वर्षगांठ का उल्लेख किया और शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कुछ पल का मौन रखा गया। हालांकि, विपक्षी सांसदों ने एसआईआर के मुद्दे को उठाते हुए कार्यवाही को बाधित किया और अपनी मांगों को जोर-शोर से रखा।
विपक्ष की मांग: पारदर्शिता और चर्चा
विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है, जिससे अल्पसंख्यक और गरीब वर्ग के मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने का खतरा है। उन्होंने मांग की है कि सरकार इस प्रक्रिया को तुरंत रोक दे और संसद में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करे। विपक्ष का मानना है कि यह कदम न केवल लोकतंत्र को कमजोर करेगा, बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त मतदान के अधिकार को भी प्रभावित करेगा। इस विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को उजागर किया है, जिसका असर संसद की कार्यवाही पर भी देखने को मिला।

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