August 29, 2025

ब्रह्मपुत्र पर चीन का मेगा डैम: भारत की चिंताएं और कूटनीतिक प्रयास

चीन का विशाल बांध प्रोजेक्ट और भारत की नजर

चीन द्वारा तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से, जिसे यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है, पर बनाए जा रहे विशाल बांध ने भारत, बांग्लादेश और म्यांमार में चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस मेगा डैम प्रोजेक्ट की शुरुआत 1986 में सार्वजनिक की गई थी, और तब से चीन इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है। भारत सरकार ने इस मुद्दे पर पहली बार संसद में आधिकारिक रूप से संज्ञान लिया है। गुरुवार को राज्यसभा में विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक लिखित जवाब में कहा कि भारत इस प्रोजेक्ट पर सतर्क नजर रख रहा है और इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। यह बांध न केवल जल संसाधनों पर प्रभाव डालेगा, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और पर्यावरण पर भी गंभीर असर डाल सकता है।

भारत की रणनीति और सुरक्षा उपाय

भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रही है। विदेश राज्यमंत्री ने बताया कि सरकार भारतीय हितों, खासकर निचले क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के जीवन और आजीविका की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए रक्षात्मक और सुधारात्मक उपाय किए जा रहे हैं। सरकार का ध्यान न केवल जल संसाधनों की उपलब्धता पर है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और क्षेत्रीय स्थिरता पर भी है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चीन की गतिविधियां भारत के हितों को नुकसान न पहुंचाएं, सरकार ने कूटनीतिक और तकनीकी स्तर पर कई कदम उठाए हैं।

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चीन के साथ कूटनीतिक और तकनीकी चर्चा

भारत और चीन के बीच सीमा पार नदियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए 2006 में एक विशेषज्ञ स्तरीय संस्थागत तंत्र स्थापित किया गया था। इस मंच के माध्यम से दोनों देश जल संसाधनों और बांध निर्माण से जुड़े मसलों पर बातचीत करते हैं। इसके अलावा, राजनयिक स्तर पर भी यह मुद्दा उठाया जाता रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जुलाई 2025 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान चीन में इस मुद्दे को उठाया था। भारत ने बार-बार चीन से नदियों से संबंधित हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने और निचले क्षेत्रों के देशों के हितों को ध्यान में रखने का आग्रह किया है। सरकार का कहना है कि नदियों के पानी पर निचले क्षेत्रों के देशों का भी अधिकार है, और चीन को अपनी गतिविधियों में पारदर्शिता बरतनी चाहिए।

क्षेत्रीय सहयोग और भविष्य की दिशा

भारत सरकार ने चीन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि यारलुंग त्सांगपो पर बनने वाले बांध से निचले क्षेत्रों में जल प्रवाह, पर्यावरण और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके लिए सरकार न केवल चीन के साथ बल्कि अन्य प्रभावित देशों के साथ भी सहयोग बढ़ाने पर विचार कर रही है। ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्रीय स्थिरता और पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है, और भारत इस दिशा में सक्रिय कदम उठा रहा है। सरकार का यह रुख दर्शाता है कि वह क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर अपने हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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